धान की जगह इन फसलों की खेती करने पर फ्री में मिलेंगे 10000 रुपये, केवल ये लोग उठा पाएंगे योजना का लाभ

छत्तीसगढ़ सरकार की कृषक उन्नति योजना सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका मकसद मिट्टी की सेहत सुधारना, पोषण सुरक्षा देना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना भी है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 21 Jul, 2025 | 01:10 PM

Krishi Unnati yojana: किसानों की आमदनी बढ़ाने और धान पर निर्भरता कम करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने मक्का, दालें, तिलहन, कपास और पारंपरिक मोटे अनाज जैसे कोदो, कुटकी और रागी जैसी वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. दरअसल,  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार इसके लिए ‘कृषक उन्नति योजना’ चला रही है. इसका मकसद खेती को ज्यादा लाभकारी, टिकाऊ और जलवायु अनुकूल बनाना है, ताकि किसान एक ही फसल पर निर्भर न रहें.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  अगर किसान इस खरीफ सीजन में धान के बजाय कोई दूसरी फसल जैसे मक्का, दालें, तिलहन, कपास, कोदो-कुटकी और रागी बोते हैं, तो उन्हें सरकार 10,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता देगी. यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी. वहीं, जो किसान पिछले साल सरकारी समर्थन मूल्य (MSP) पर धान बेच चुके हैं और इस साल वैकल्पिक फसलें अपनाते हैं, उन्हें 11,000 रुपये प्रति एकड़ की मदद मिलेगी. यह लाभ प्रमाणित भू-अभिलेखों के आधार पर दिया जाएगा. सरकार का यह कदम किसानों को केवल धान की खेती पर निर्भर रहने से रोकने के लिए है, क्योंकि एक ही फसल की खेती से पानी की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है.

कैसे लोग हैं योजना के पात्र

  • कृषक उन्नति योजना का लाभ पाने के लिए कुछ जरूरी शर्तें तय की गई हैं
  • सिर्फ वे किसान इस योजना का लाभ ले सकेंगे जो इंटीग्रेटेड फार्मर पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं
  • सरकारी विभाग, अर्ध-सरकारी संस्थाएं, निजी कंपनियां, ट्रस्ट और कोऑपरेटिव संस्थाएं इस योजना के दायरे में नहीं आएंगी
  • जो किसान राज्य बीज निगम को धान बेचते हैं, उनके लिए अलग विशेष प्रावधान लागू होंगे

अब तक, परंपरागत रूप से धान उगाने वाले किसानों को इनपुट सब्सिडी और समर्थन मूल्य (MSP) मिलाकर कुल 15,351 रुपये प्रति एकड़ (साधारण धान पर 731रुपये /क्विंटल) और 14,931 रुपये प्रति एकड़ (ग्रेड-ए धान पर 711 रुपये/क्विंटल) की आर्थिक मदद मिलती थी. नई योजना में, जो किसान धान छोड़कर मक्का, दाल, तिलहन, कोदो-कुटकी, रागी या कपास जैसी वैकल्पिक फसलें अपनाते हैं, उन्हें अब लगभग समान आर्थिक सहायता 10,000 रुपये से 11,000 रुपये प्रति एकड़ मिलेगी. इसका मकसद यह है कि वैकल्पिक फसलें भी किसानों के लिए उतनी ही लाभकारी और टिकाऊ आय का स्रोत बन सकें जितना कि धान. साथ ही जल व मिट्टी की रक्षा भी हो.

योजना की मदद से कृषि में होगा सुधार

छत्तीसगढ़ सरकार की कृषक उन्नति योजना सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका मकसद मिट्टी की सेहत सुधारना, पोषण सुरक्षा देना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना भी है. राज्य के अधिकारियों का कहना है कि फसल विविधीकरण से कीटों के हमले का खतरा कम होगा. अनियमित बारिश के असर से बचाव होगा. बाजार में दामों के उतार-चढ़ाव से किसानों को सुरक्षा मिलेगी. मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहेगी. साथ ही पारंपरिक और पोषक अनाज जैसे कोदो, कुटकी, रागी के जरिए पोषण सुरक्षा बढ़ेगी.

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Published: 21 Jul, 2025 | 01:05 PM

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