फंगस से नहीं होगा फसल का नुकसान, जानिए बादाम के पेड़ों की सही देखभाल

अगर बादाम के पत्तों पर पीले धब्बे, सफेद पाउडर जैसे लक्षण, मुरझाए हुए हिस्से या फलों में धब्बे दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें. तुरंत प्रभावित हिस्सों को काटें और फेंकें, फिर पेड़ पर उचित दवाओं का छिड़काव करें.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 26 Jun, 2025 | 11:20 AM

बादाम के पेड़ न केवल अपनी सुंदरता बल्कि सेहतमंद और स्वादिष्ट मेवों के लिए भी बेहद खास माने जाते हैं. लेकिन जैसे-जैसे ये पेड़ बड़े होते हैं, वैसे ही इन पर बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगता है खासकर फंगल यानी फफूंद जनित बीमारियों का. अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इन फफूंदों के कारण न केवल पैदावार घट सकती है, बल्कि पूरा पेड़ कमजोर हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान और बागवानी प्रेमी कुछ आसान लेकिन असरदार उपाय अपनाकर अपने बादाम के पेड़ों को स्वस्थ बनाए रखें.

साफ-सफाई से ही मिलेगी सबसे बड़ी राहत

फफूंद के बीजाणु (spores) अकसर गिरे हुए पत्तों, सूखी टहनियों या सड़े-गले हिस्सों में पनपते हैं. इसलिए जरूरी है कि खेत या बगिचे की साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जाए. पेड़ के नीचे गिरी पत्तियों को नियमित रूप से हटाएं और संक्रमित टहनियों को तुरंत काटकर जला दें या नष्ट करें. इससे फंगल का फैलाव रुकता है और अगली फसल भी सुरक्षित रहती है.

धूप और हवा का बहाव जरूरी

बादाम के पेड़ों को खुली धूप और अच्छी हवा की जरूरत होती है. बहुत अधिक नमी या घनी छाया वाले हिस्सों में फंगस तेजी से पनपती है. इसलिए पेड़ों के बीच पर्याप्त दूरी रखें और छंटाई (pruning) करते रहें ताकि हवा आसानी से हर हिस्से तक पहुंच सके. इससे पत्तियां जल्दी सूखेंगी और फफूंद को बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा.

रोग-प्रतिरोधक किस्मों का करें चयन

अगर आप नए बादाम के पेड़ लगा रहे हैं, तो स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या नर्सरी से जानकारी लेकर रोग-प्रतिरोधक (disease-resistant) किस्मों का चुनाव करें. शॉट होल (shot hole), ब्राउन रॉट (brown rot), और पाउडरी मिल्ड्यू (powdery mildew) जैसी आम बीमारियों से बचाव के लिए यह एक स्मार्ट तरीका है.

सिंचाई की तकनीक पर रखें नजर

अधिक पानी फंगल संक्रमण को बढ़ावा देता है. इसलिए कोशिश करें कि सिंचाई सुबह के समय हो ताकि शाम तक पत्तियां सूख जाएं. पत्तियों पर पानी न पड़े, इसके लिए ड्रिप इरिगेशन एक बेहतरीन विकल्प है. इससे जड़ों को नमी मिलती है लेकिन पत्तियां सूखी रहती हैं जो फंगल रोकथाम के लिए जरूरी है.

फफूंदनाशक का करें सावधानी से प्रयोग

फफूंद से सुरक्षा के लिए आप प्रमाणित फफूंदनाशकों (fungicides) का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. ये दवाएं तब सबसे असरदार होती हैं जब बीमारी के लक्षण दिखाई देने से पहले ही इन्हें छिड़का जाए. जैविक विकल्पों जैसे नीम तेल या बेकिंग सोडा से बने स्प्रे भी हल्के फंगल संक्रमण में कारगर हो सकते हैं.

लक्षणों पर रखें नजर और तुरंत करें कार्रवाई

अगर बादाम के पत्तों पर पीले धब्बे, सफेद पाउडर जैसे लक्षण, मुरझाए हुए हिस्से या फलों में धब्बे दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें. तुरंत प्रभावित हिस्सों को काटें और फेंकें, फिर पेड़ पर उचित दवाओं का छिड़काव करें. समय पर की गई यह कार्रवाई आगे चलकर पूरे बाग को सुरक्षित कर सकती है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.