Potato cultivation: कड़ाके की ठंड के साथ पाला और शीतलहर ने आलू किसानों की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि आलू की फसल में झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे किसानों को पैदावार में गिरावट आने का भय सता रहा है. पर किसानों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. दरअसल, हम कुछ ऐसे देसी उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही आलू की फसल पर पाला और शीतलहर का असर नहीं पड़ेगा. साथ ही पैदावार भी बढ़ जाएगी. बड़ी बात यह है कि इसके लिए किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा.
दरअसल, झुलसा रोग आलू की फसल के लिए बहुत ही खतरनाक बीमारी है. औसत से ज्यादा ठंड पड़ने पर इस रोग के लगने की आशंका रहती है. ऐसे यह एक फफूंद जनित रोग है. इसकी चपेट में आने से आलू की पत्तियां काली पड़ जाती हैं, पौधे मुरझाने लगते हैं और बाद में फसल सड़ने लगती है. कई बार यह किसानों को भारी नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि पैदावार में गिराट आ जाती है.
आलू के साथ सरसों पर भी असर
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ती शीतलहर के कारण आलू के साथ-साथ सरसों की फसल प्रभावित हो सकती है. खासकर आलू की अगेती फसल, जिसकी खुदाई इन दिनों हो रही है, पाले और कोहरे की वजह से झुलसा रोग के खतरे में है. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. कृषि वैज्ञानिक कुछ खास उपाय बताए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपनी आलू की फसल को इस बीमारी और ठंड से बचा सकते हैं.
झुलसा रोग से आलू की फसल को बचाने के लिए किसान करें ये उपाय
धुआं करें: खेत के किनारे गोबर, सूखी लकड़ी या पराली जलाकर धुआं करने से खेत के ऊपर एक परत बन जाती है, जो तापमान को गिरने से रोकती है.
फसल को ढकें: आलू की फसल को तिरपाल, प्लास्टिक शीट या पराली से ढकने पर पाले का सीधा असर नहीं होता.
सिंचाई करें: ठंड और पाले के समय मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है. शाम को हल्की सिंचाई करने से खेत का तापमान बढ़ जाता है और पाला कम असर करता है.
पाला रोधी रसायन: सल्फ्यूरिक एसिड जैसे पाला रोकने वाले रसायनों का छिड़काव किया जा सकता है, लेकिन यह काम विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें.
पोषक तत्वों का संतुलन: पाले के समय पौधों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए पोटाश देना फायदेमंद है, क्योंकि यह पौधों को ठंड सहने में मदद करता है. यानी इन उपायों से किसान ठंड के मौसम में भी अपनी आलू की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.