एलोवेरा की खेती में सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार पौधा लगाने के बाद यह पांच साल तक लगातार उत्पादन देता है. इसका मतलब है कि किसान एक ही बार निवेश करके लंबे समय तक मुनाफा कमा सकते हैं.
राज्य में बुवाई का समय लगभग समाप्त हो चुका है और आंकड़े बताते हैं कि कई प्रमुख फसलों का रकबा घटा है. पिछले साल की तुलना में इस साल सोयाबीन का रकबा 5 फीसदी घटकर 51.20 लाख हेक्टेयर रह गया. मूंगफली के रकबे में भारी गिरावट देखी गई है.
प्याज की कटाई तभी करें जब पत्तियां पीली होकर नीचे गिरने लगें और उनका ऊपरी हिस्सा सूख जाए. जल्दी कटाई करने से प्याज छोटा रहेगा और देर से कटाई करने पर फसल फट सकती है या खराब हो सकती है.
आज के समय में लोग पौष्टिक और सेहतमंद खाना खाने के लिए ऑर्गेनिक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. यही कारण है कि अब लोग अपने घरों में ही ऑर्गेनिक तरीकों से सब्जियां उगाने लगे हैं, जिससे उन्हें स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जियां आसानी से मिल जाती हैं.
रूट रॉट से बचने का सबसे आसान तरीका है सही पानी देना और मिट्टी का ध्यान रखना. कभी भी पौधों को जरूरत से ज्यादा पानी न दें और गमले में हमेशा ड्रेनेज होल मौजूद हों. भारी मिट्टी में रेत या पर्लाइट मिलाएं ताकि मिट्टी हल्की और हवादार बनी रहे.
खेती में कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब मेहनत और बाजार दोनों का साथ मिल जाता है. सितंबर का महीना किसानों के लिए बिल्कुल वैसा ही है. अगर किसान प्याज, लहसुन और आलू की खेती इस समय करते हैं, तो यह उनकी सालभर की कमाई को एक नई ऊंचाई तक पहुंचा सकता है.