किसान पारंपरिक फसलों पर निर्भर न रहें और उन्नत किस्म का चुकंदर लगाएं. फसल लगभग 100 दिन में तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर में बुवाई करने पर करीब 6 लाख रुपये की कमाई असानी से हो जाएगी.
काजू का पौधा आमतौर पर 3 से 5 साल में फल देना शुरू करता है. फरवरी से मई के बीच काजू की फसल तैयार होती है. जब काजू एप्पल लाल या गुलाबी हो जाए और बीज भूरा दिखने लगे, तो फल को धीरे से टेढ़ा खींचकर तोड़ें.
हरित क्रांति के बाद जब खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा, तब भले ही उत्पादन में तेजी आई हो, पर इसके साथ कई समस्याएं भी जन्मीं, मिट्टी की उर्वरता कम हुई, जल स्रोत दूषित हुए और फसलों की गुणवत्ता घट गई. अब किसान फिर से प्राकृतिक रास्ते पर लौट रहे हैं.
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह इस बार 15,000 करोड़ रुपये मूल्य की खरीफ फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करेगी. यह खरीद 9 नवंबर से शुरू होगी और इससे लाखों किसानों को सीधा फायदा मिलेगा. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य के करीब 16,000 गांवों में किसानों को अनियमित बारिश और खराब मौसम के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
सर्दियों में तुलसी को हल्की धूप और नियमित नमी की जरूरत होती है. ठंडी हवा मिट्टी की नमी को जल्दी सोख लेती है, जिससे पौधे की जड़ें कमजोर हो जाती हैं. पौधे को थोड़ी हल्की धूप मिले, मिट्टी में नमी बनी रहे और पोषण भी पर्याप्त हो, तो तुलसी लंबे समय तक हरा-भरा रह सकता है.
तमिलनाडु के अध्ययन के अनुसार, केवल इस रोग के कारण पूवन किस्म की फसल में 30 फीसदी तक उपज घट सकती है. इस रोग में सूक्ष्म कीट जैसी सूत्रकृमि मिट्टी में रहते हुए केले के पौधों की जड़ों पर हमला करती है. इसके परिणामस्वरूप पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और फल छोटे या कम संख्या में आते हैं.