ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन से अराकू कॉफी की मांग बढ़ी, यूरोपीय बाजारों में खूब खपत

आंध्र प्रदेश की अराकू कॉफी ने ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन हासिल कर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बनाई है. इससे न केवल किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है, बल्कि सस्टेनेबल खेती को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

नई दिल्ली | Published: 27 Jul, 2025 | 07:46 PM

भारत में उगाई जाने वाली अराकू कॉफी अब ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन हासिल करने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बना रही है. आंध्र प्रदेश की गिरिजन कोऑपरेटिव कॉरपोरेशन (GCC) ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल कर लिया है, जिससे अराकू कॉफी अब जर्मनी और इटली जैसे यूरोपीय बाजारों में एक्सपोर्ट की जा रही है. इसके साथ ही टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने भी इसे भारतीय बाजार में प्रमोट करने और बेचने के लिए एक बड़ी डील साइन की है.

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार GCC की वाइस चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर कल्पना कुमारी ने बताया कि इस पहल को लेकर अब तक का रेस्पॉन्स बेहद शानदार रहा है. उन्होंने कहा, “ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के बाद हमने अराकू कॉफी को अलग से मार्केटिंग शुरू की है और इसका काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है. टाटा ग्रुप ने इसे भारत में खरीदा है, तो वहीं जर्मनी और इटली के कई खरीदारों से भी ऑर्डर मिले हैं.”

क्यों है खास अराकू कॉफी?

अराकू कॉफी भारत के आंध्र प्रदेश पडेरू एजेंसी क्षेत्र में रहने वाले ट्राइबाल्स द्वारा उगाई जाती है. यह हमेशा से ऑर्गेनिक रही है, लेकिन पहली बार इसे आधिकारिक रूप से ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है. इस कॉफी की सबसे खास बात यह है कि यह केमिकल फ्री और नैच्रल तरीकों से उगाई जाती है. यही वजह है कि इसे अब न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि विदेशी बाजारों में भी पसंद किया जा रहा है.

कैसे मिला ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन?

इस कॉफी को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन दिलाने के लिए 2019 में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू की गई थी. इस प्रोजेक्ट के तहत चिंतापल्ली और जी.के. वीधी मंडल के 2,275 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले 2,600 से अधिक किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग दी गई. ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन प्राप्त करने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है और इसे पूरा करने में तीन साल का समय लगता है. इस दौरान, किसानों को केमिकल फ्री खेती करने और नैच्रल फर्टिलाइज़र्स(natural fertilizers) का ही इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है.

GCC ने किसानों को नियमों का पालन कराने के लिए APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) से मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन बॉडी से इंस्पेक्शन और ऑडिट कराई गई. पूरी प्रक्रियापूर्ण होने पर GCC ने ऑर्गेनिक कॉफी के लिए अलग से मार्केटिंग शुरू कर दी गई हैं.

किसानों को अधिक लाभ

ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के बाद किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम भी मिल रहा है. इस साल GCC ने ऑर्गेनिक अरबीका पार्चमेंट कॉफी को ₹450 प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा है, जबकि सामान्य कॉफी की कीमत ₹400 प्रति किलोग्राम है. इसीप्रकार से ऑर्गेनिक अरबीका चेरी की कीमत ₹330 प्रति किलोग्राम तय की गई है, जो पहले ₹250 प्रति किलोग्राम थी.  इससे किसानों में ऑर्गेनिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ी है और वे अब टिकाऊ (सस्टेनेबल) खेती की ओर बढ़ रहे हैं.

क्या अब बारी ऑर्गेनिक काली मिर्च की?

अराकू कॉफी की सफलता के बाद अब GCC और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने र्गेनिक काली मिर्च को भी प्रमोट करने की योजना बनाई है. पहली शिप्मन्ट अप्रैल में टाटा ग्रुप को भेजी जाएगी. इससे किसानों को एक और नया बाजार मिलेगा और उनकी आमदनी में काफी इजाफा होगा.

अराकू कॉफी की सफलता से क्या लाभ है?

  • किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
  • आंध्र प्रदेश ऑर्गेनिक उत्पादों के बड़े हब के रूप में उभरेगा.
  • भारतीय ऑर्गैनिक प्रोडक्टस की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ेगी.
  • सस्टेनेबल खेती को प्रोत्साहन मिलेगा.