देश में 75 फीसदी खेतों में पूरी हुई खरीफ की बुवाई, धान और दालों में दिखी सबसे ज्यादा तेजी

इस साल मानसून ने अच्छा साथ दिया है. 1 जून से 28 जुलाई के बीच देशभर में औसतन 7 फीसदी ज्यादा वर्षा हुई है. खासकर मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई, जिससे बुवाई का काम समय पर शुरू हो पाया.

नई दिल्ली | Published: 29 Jul, 2025 | 07:33 AM

देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई अब पूरे जोर पर है. मानसून की मेहरबानी और किसानों की मेहनत से खेतों में हरियाली दिखने लगी है. इस बार बुवाई पिछले सालों की तुलना में तेज गति से हो रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 75 फीसदी सामान्य क्षेत्र में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं.

25 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते तक 121 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है, जो बीते सप्ताह के 110 लाख हेक्टेयर से कहीं ज्यादा है. यह संकेत है कि किसान इस बार खेती को लेकर पहले से ज्यादा सक्रिय और आशावादी हैं.

अच्छी बारिश बनी वरदान, देशभर में मानसून का जादू

इस साल मानसून ने अच्छा साथ दिया है. 1 जून से 28 जुलाई के बीच देशभर में औसतन 7 फीसदी ज्यादा वर्षा हुई है. खासकर मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश हुई, जिससे बुवाई का काम समय पर शुरू हो पाया. पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान जैसे राज्यों में 19 फीसदी तक ज्यादा बारिश दर्ज की गई है.

धान, मक्का और मूंग की जोरदार शुरुआत

धान की बुवाई ने इस बार नया रिकॉर्ड छुआ है. अब तक 245.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान बोया जा चुका है, जो पिछले साल के मुकाबले 13.4 फीसदी ज्यादा है. मूंग की खेती भी जोर पकड़ रही है. मूंग का रकबा इस बार 16.1 फीसदी बढ़कर 30.6 लाख हेक्टेयर हो गया है. मक्का का रकबा भी 85.6 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो 8.4 फीसदी की बढ़त को दर्शाता है.

अरहर और उड़द में गिरावट, लेकिन मूंग बना किसानों की पसंद

जहां एक ओर मूंग की खेती बढ़ी है, वहीं अरहर और उड़द के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. अरहर का रकबा इस बार 8.1 फीसदी घटकर 34.9 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि उड़द का रकबा 6.7 फीसदी घटकर 16.6 लाख हेक्टेयर हो गया.

कपास और सोयाबीन में सुस्ती, मूंगफली का हल्का उछाल

तिलहनों की बात करें तो सोयाबीन का रकबा 3.8 फीसदी घटकर 116.7 लाख हेक्टेयर पर आ गया है. कपास की बुवाई में भी 2.2 फीसदी की गिरावट आई है. हालांकि, मूंगफली ने थोड़ी राहत दी है, जिसका रकबा बढ़कर 41.2 लाख हेक्टेयर हो गया है.

गन्ना और जल भंडारण ने बढ़ाया भरोसा

गन्ने की बुवाई इस साल 55.16 लाख हेक्टेयर में पूरी हो चुकी है, जो पिछले साल से अधिक है. वहीं देश के 161 प्रमुख जलाशयों में 60.75 फीसदी जल भंडारण दर्ज किया गया है, जो खेती के लिहाज से एक अच्छा संकेत है.

क्या कहती है तस्वीर?

खरीफ सीजन 2025 की शुरुआत सकारात्मक नजर आ रही है. बारिश की अनुकूलता, बुवाई की तेज रफ्तार और जलाशयों में पर्याप्त पानी से संकेत मिलता है कि इस बार खेती में उत्पादन अच्छा रहने की संभावना है. हालांकि कुछ फसलें जैसे कपास और सोयाबीन थोड़ा पिछड़ रही हैं, लेकिन धान, मक्का और मूंग ने इस कमी को काफी हद तक संतुलित कर दिया है. किसानों को अब जरूरत है फसलों की सही देखभाल, कीट नियंत्रण और बाजार की सही जानकारी की, ताकि मेहनत का फल भरपूर मिले.