गुलाबी गूदे वाले अमरूद की खेती बढ़ा रही कमाई, ICAR की नई वैरायटी की खूब चर्चा

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित अमरूद की दो उन्नत किस्में पूसा आरुषि और पूसा प्रतीक्षा न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन हैं, बल्कि पोषण और उत्पादन के मामले में भी काफी आगे हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 25 May, 2025 | 09:00 AM

खेती-किसानी में लगातार नई तकनीकों और किस्मों के आने से किसानों के अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने के नए रास्ते खुल रहे हैं. खासकर फल उत्पादन करने वाले किसान अब बेहतर किस्मों की मदद से कम जगह में ज़्यादा पैदावार कर लाभ कम सकते हैं. इसी कड़ी में भारतीय कृषि परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से 2004 में अमरूद की दो उन्नत किस्म को विकसित किया गया हैं. जिसका नाम पूसा आरुषि और पूसा प्रतीक्षा रखा गया हैं, जो न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन हैं, बल्कि पोषण और उत्पादन के मामले में भी काफी आगे हैं.

गुलाबी गूदे वाले अमरूद

पूसा आरुषि किस्म अमरूद की पंत प्रभात और अर्का किरण को मिलकर तैयार किया गया है. इसका पौधा फैलावदार होता है और इसमें लंबे, हरे पत्ते होते हैं. फल का आकार गोल होता है और गूदा अंदर से गुलाबी रंग का होता है, जो बाजार में खूब पसंद किया जाता है. बीज बहुत कम और छोटे होते हैं, जिससे खाने में भी आसानी होती है.

हाई डेंसिटी प्लांटेशन में भी बेस्ट

इस किस्म की खास बात यह है कि इसके फलों में काफी ज्यादा पोषण तत्व होते हैं. फल का वजन 190 से 240 ग्राम तक होता है, जिसमें टोटल सॉल्युबल सॉलिड्स (TSS) 12.5 से 13.6 ब्रिक्स, विटामिन C (एस्कॉर्बिक एसिड) 156.82 से 179.23 mg/100g और हाई एंटीऑक्सीडेंट 7.9 से 8.9 तक पाए जाते हैं. साथ ही इसमें फ्लेवोनॉइड्स की मात्रा भी अधिक होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए और भी फायदेमंद बनाती है. उत्पादन की बात करें तो हाई डेंसिटी प्लांटेशन में 37 से 39 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज मिलती है, जो किसानों के लिए अच्छी कमाई का मौका बन सकती है.

सफेद गूदा और नरम बीज वाली किस्म

पूसा प्रतीक्षा किस्म को अमरूद की हिसार सफेदा और पर्पल ग्वावा को मिलकर तैयार विकसित किया गया है. यह किस्म भी फैलावदार पौधों वाली होती है, जिसमें दिल के आकार जैसी पत्तियां होती हैं. इसके फल बड़े, गोल, सफेद गूदे वाले और नरम बीजों से युक्त होते हैं.

इस किस्म की खासियत इसका स्वाद और पोषण है. इसके फलों में टोटल सॉल्युबल सॉलिड्स 12.30 से 14.04 ब्रिक्स और विटामिन C 169.6 से 211.32 mg तक पाया जाता है. जिससे कारण यह किस्म किसानों के बीच काफी तेजी से लोकप्रियता भी बढ़ रही है. वहीं उत्पादन के मामले में इस किस्म से 40- 43 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज ली जा सकती है.

कम जगह में ज्यादा पैदावार

इन दोनों किस्मों की सबसे बड़ी ताकत यह है कि ये कम जगह में ज्यादा पैदावार देती हैं और बाजार में अच्छे दाम भी मिलते हैं. इसके अलावा, इन किस्मों के फल सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद हैं, जिससे इनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 25 May, 2025 | 09:00 AM

पत्तियों के पीलेपन को क्या कहा जाता है?

हरित क्रांति (Green Revolution) का संबंध किससे है?