चीनी उद्योग पर्याप्त स्टॉक के साथ स्थिर, पूरी होगी भारत की घरेलू मांग: ISMA

इस्‍मा ने एक बयान में कहा है कि सितंबर 2025 तक 54 लाख टन के अनुमानित समापन स्टॉक के साथ ऐसा अनुमान है कि भारत का चीनी भंडार घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 'पर्याप्त से अधिक' रहेगा.

Kisan India
Noida | Updated On: 19 Mar, 2025 | 03:22 PM

कुछ दिनों पहले भारत में चीनी के शुद्ध उत्‍पादन को संशोधित करने के बाद अब शुगर इंडस्‍ट्री बॉडी इस्‍मा ने एक अच्‍छी खबर दी है. इस्मा ने मंगलवार को चालू 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) विपणन सत्र के लिए चीनी की स्थिर और पर्याप्त उपलब्धता की पुष्टि की है. इस्‍मा की मानें तो इससे संभावित कमी और आपूर्ति बाधाओं के बारे में किसी भी चिंता को दूर किया जा सकता है. पिछले हफ्ते ही इस्‍मा ने सितंबर में खत्‍म हुए चालू खरीद वर्ष में चीनी के शुद्ध उत्पादन अनुमान का जारी किया था. संगठन ने इसमें अपने पहले के अनुमान को संशोधित कर 264 लाख टन करने की जानकारी दी थी.

पर्याप्त से ज्‍यादा होगा स्‍टॉक

भारत में चीनी विपणन सत्र अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. इस्‍मा ने एक बयान में कहा है कि सितंबर 2025 तक 54 लाख टन के अनुमानित समापन स्टॉक के साथ ऐसा अनुमान है कि भारत का चीनी भंडार घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ‘पर्याप्त से अधिक’ रहेगा. संगठन का कहना है कि एक अक्‍टूबर 2024 तक 80 लाख टन का शुरुआती स्टॉक था. करीब 264 लाख टन का शुद्ध चीनी उत्पादन हुआ और यह आंकड़ा इथेनॉल डायवर्सन के बाद का है.

गन्‍ना भुगतान से किसानों को फायदा

इस्मा ने 2025-26 सीजन के लिए उद्योग के सकारात्मक दृष्टिकोण का भी अनुमान लगाया है. संगठन के अनुसार ऐतिहासिक उत्पादन रुझान दर्शाते हैं कि पहले दो महीनों (अक्टूबर-नवंबर) में चीनी उत्पादन 43 लाख टन से ज्‍यादा जिससे शुरुआती सीजन में स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. इस्‍मा के अनुसार सरकार की तरफ से 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने के फैसले ने उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है. इससे घरेलू स्टॉक स्तर संतुलित हुआ है और मिल मालिकों को भी वित्तीय स्थिरता हासिल हुई है. इस नीति से 5.5 करोड़ किसानों और उनके परिवारों को सीधे लाभ हुआ है. इससे गन्‍ना भुगतान में तेजी आई है और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हुई है.

निर्यात में होगा इजाफा

इस्‍मा की मानें तो चालू सीजन के लिए करीब 80 फीसदी गन्‍ना भुगतान मार्च 2025 के मध्य तक पूरा कर दिया गया. जबकि जनवरी 2024 के मध्य तक 69 फीसदी भुगतान पूरा हो जाना था. इसके अलावा 2023-24 सीजन के लिए 99.9 फीसदी गन्‍ना भुगतान पूरा हो चुका है, जिससे किसानों के लिए बेहतर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हुई है. निर्यात नीति से विदेशी मुद्रा भंडार में 4,500 करोड़ रुपये का योगदान होने की भी उम्मीद है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

यूपी में 75 फीसदी मिलें चालू

इस्‍मा के मुताबिक उत्तर प्रदेश में करीब 75 प्रतिशत मिलें चल रही हैं. बेहतर गन्‍ना रिकवरी से पेराई सत्र अप्रैल तक बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि महाराष्‍ट्र और कर्नाटक में गन्‍ने की कम पैदावार हुई है. जून/जुलाई 2025 में एक विशेष सत्र के दौरान कर्नाटक की चुनिंदा मिलों में परिचालन फिर से शुरू होने की संभावना है. वहीं इसी अवधि के दौरान तमिलनाडु की मिलें भी चालू होने वाली हैं.

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Published: 18 Mar, 2025 | 10:04 PM

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