Paddy Sowing: पश्चिम बंगाल को उम्मीद है कि इस फसल वर्ष (जुलाई 2025 से जून 2026) में धान का बंपर उत्पादन होगा, जो पिछले साल के रिकॉर्ड 256 लाख टन को भी पार कर जाएगा. फसल सीजन 2024-25 में पश्चिम बंगाल धान उत्पादन के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा था. खास बात यह है कि पिछले सीजन के दौरान बंगाल सरकार ने 41.5 लाख हेक्टेयर में धान बुवाई का टारगेट रखा गया था. लेकिन इस बार ने राज्य सरकार ने धान बुवाई का लक्ष्य बढ़ाकर 42 लाख हेक्टेयर कर दिया है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा है कि इस बार किसानों ने अब तक करीब 3 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई कर ली है. हमें पूरा भरोसा है कि हम 100 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लेंगे. इस बार राज्य में बारिश समय पर हो रही है और हमें लगता है कि जुलाई के अंत तक बुवाई पूरी हो जाएगी.
256 लाख टन धान का उत्पादन
पश्चिम बंगाल में खरीफ धान की बुवाई आमतौर पर जून के अंत से शुरू होती है और इसे सितंबर के मध्य तक बढ़ाया जा सकता है. साल 2024-25 में राज्य में धान का उत्पादन 256 लाख टन तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ज्यादा है. मंत्री प्रदीप मजूमदार ने कहा कि यह हमारे इतिहास का सबसे बड़ा उत्पादन था. हमारा लक्ष्य हर साल पिछला रिकॉर्ड तोड़ना होता है. उन्होंने कहा कि इस बार भी हमें उम्मीद है कि हम नया रिकॉर्ड बनाएंगे. हम चावल उत्पादन में नंबर 1 हैं और आगे भी रहेंगे.
दो सीजन में धान की खेती
बंगाल में धान की खेती दो प्रमुख सीजन खरीफ और रबी में होती है. रबी सीजन की बरो धान, जो मुख्य रूप से सिंचाई पर निर्भर होती है. इसकी बुवाई किसान आमतौर पर नवंबर से करते हैं. पिछले साल रबी सीजन में राज्य ने 76 लाख टन धान पैदा किया था. मंत्री ने कहा कि हमारी ताकत छोटे और सीमांत किसान हैं, जो हमेशा पूरी मेहनत करते हैं. सरकार उन्हें समय पर मदद, मार्गदर्शन और जरूरी सामान देती है, क्योंकि खेती में समय सबसे अहम होता है.
15 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई
ध्यान देने वाली बात यह है कि 7 जुलाई तक भारत में कुल बारिश औसत से 15 फीसदी ज्यादा दर्ज की गई है. CareEdge Ratings की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल खरीफ की बुवाई की शुरुआत तेज रही है, जिसकी वजह समय से मॉनसून आना है. इससे लू का असर फसलों पर कम हुआ. 4 जुलाई 2025 तक कुल बोई गई जमीन में पिछले साल के मुकाबले 11.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़त खासतौर पर अनाज की बुवाई में तेज उछाल की वजह से है, जिसमें दालें 35.2 फीसदी और मोटे अनाज 14.2 फीसदी बढ़े हैं.