मूंग की दाल यानी हरी मूंग एक ऐसी फसल है जो कम समय में तैयार हो जाती है और कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है. यह न केवल शरीर के लिए फायदेमंद होती है, बल्कि इसकी खेती से किसान भी अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मूंग की फसल की बढ़त सही तरीके से हो और पैदावार अधिक मिले. अगर आप भी मूंग की खेती करते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो आइए जानते हैं मूंग की सेहत कैसे सुधारी जाए.
मिट्टी की तैयारी
मूंग की फसल के लिए सबसे जरूरी है उपजाऊ और पानी निकालने वाली मिट्टी. लोमी या बलुई-लोम मिट्टी इस फसल के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है. खेत की जुताई अच्छे से करें और जमीन समतल रखें. बुवाई से पहले जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े और फसल को सही पोषण मिले.
बीज का चुनाव
हर इलाके की जलवायु और मिट्टी अलग होती है, इसलिए अपने क्षेत्र के अनुसार ही बीज का चुनाव करें. ऐसी किस्में चुनें जो रोग प्रतिरोधक हों और जिनकी उपज ज्यादा हो. बीज खरीदते समय प्रमाणित बीजों को प्राथमिकता दें और बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशक से उपचारित जरूर करें.
सही समय पर बुवाई
मूंग की बुवाई का सही समय होता है वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) या खरीफ में (जुलाई के आसपास). बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं और पौधों के बीच 10 से 15 सेंटीमीटर तथा कतारों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें. इससे हवा अच्छे से गुजरेगी और फसल में बीमारी या कीट लगने की संभावना कम होगी.
सिंचाई का रखें ध्यान
मूंग की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन शुरुआती विकास के समय और फूल आते वक्त सिंचाई बहुत जरूरी होती है. हर 3 से 4 दिन में हल्की सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो. ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं और फसल खराब हो सकती है.
निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
मूंग की फसल को शुरू के 25-30 दिनों में निराई-गुड़ाई की बहुत जरूरत होती है. अगर खेत में खरपतवार अधिक हो गए तो वे फसल से पोषण और नमी छीन लेंगे. इससे मूंग की बढ़त रुक सकती है. हाथ से या यंत्रों से समय-समय पर निराई करें. जरूरत पड़ी तो नियंत्रित मात्रा में खरपतवारनाशी दवाएं भी प्रयोग की जा सकती हैं.
कीटों और रोगों से रखें सतर्कता
मूंग की फसल पर माहू, थ्रिप्स और सफेद मक्खी जैसे कीट हमला कर सकते हैं. इनके कारण पत्ते पीले पड़ सकते हैं या मुड़ सकते हैं. कीटों से बचाव के लिए फसल का निरीक्षण करते रहें और जैविक या रासायनिक दवाओं का संतुलित उपयोग करें. फसल चक्र अपनाना और साफ-सफाई रखना भी कीट नियंत्रण के कारगर तरीके हैं.