उत्तर प्रदेश में नदियों और जलाशयों के पानी की गुणवत्ता में पिछले साल की तुलना में काफी सुधार हुआ है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में पानी की सफाई और संरक्षण के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं. 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में जल गुणवत्ता में 68.8 फीसदी सुधार दर्ज किया गया है.
पानी की सफाई के लिए खास अभियान
UPPCB ने 2024 में पूरे प्रदेश के 176 जगहों पर पानी की गुणवत्ता की जांच की, जिसमें 120 स्थानों पर सुधार पाया गया. नामी गंगे मिशन और स्वच्छ भारत अभियान जैसे बड़े कार्यक्रमों के तहत प्रदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित किए गए हैं. अप्रैल 2025 तक कुल 152 STPs लगाए गए हैं, जिनमें से 141 पूरी तरह से काम कर रहे हैं और 126 पर्यावरण मानकों के अनुसार संचालित हो रहे हैं.
बाकी क्षेत्रों में चुनौतियां और सरकार का प्रयास
हालांकि प्रदेश के कई हिस्सों में पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, फिर भी कुछ जगहों पर चुनौतियां बनी हुई हैं. इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर काम कर रहे हैं ताकि सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से नियमों का पालन करें.
नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना
पर्यावरण नियमों के उल्लंघन करने वाले सीवेज प्लांटों पर यूपीपीसीबी ने कड़ी कार्रवाई की है. अक्टूबर 2022 से अप्रैल 2025 के बीच दोषी प्लांटों पर कुल 11.8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. हालांकि अभी तक मात्र 7.30 लाख रुपये की वसूली हुई है, इसलिए जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया को और मजबूत बनाने की योजना बनाई जा रही है.
मुख्यमंत्री का खास फोकस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा, यमुना, गोमती जैसी प्रमुख नदियों के संरक्षण और सुधार पर विशेष ध्यान दिया है. साथ ही, छोटे जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि पूरे प्रदेश का जल वातावरण बेहतर हो सके.