महुआ से कुकीज और लड्डू बना रहीं चार बहनें.. 5 हजार रुपये से शुरू किया था कारोबार

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में महुआ के फूलों से कुकीज बनाई जा रही हैं. जबकि, तेलंगाना की बहनों के प्रयासों से महुआ के फूलों से बने लड्डू बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं.

रिजवान नूर खान
Noida | Updated On: 31 Mar, 2025 | 05:55 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 120वें एपिसोड में मध्य प्रदेश की 4 महिलाओं का जिक्र किया जो, महुआ के कुकीज यानी बिस्किट और लड्डू बनाकर बेच रही हैं. उनकी अच्छी कमाई भी हो रही है. इन चार महिलाओं ने 5-5 हजार रुपये इकट्ठा करके एक साथ काम किया था और आज 13 गांव की महिलाएं उनके स्टार्टअप से जुड़ी हुई हैं और लाखों का कारोबार हो रहा है. उनके लड्डू और बिस्किट की खूब डिमांड है. पीएम मोदी ने बीते 8 साल में 11 बिलियन क्यूबिक पानी बचाने के किस्से का भी जिक्र किया.

चार बहनों के महुआ लड्डू की सफल कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे गांवों के लोग और खासकर आदिवासी समुदाय महुआ के फूलों के महत्व को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूलों से कुकीज बनाई जा रही हैं. मध्य प्रदेश के राजाकोह गांव की चार बहनों के प्रयासों से महुआ के फूलों से बनी कुकीज बहुत लोकप्रिय हो रही हैं. उन्होंने कहा कि राजाखोह गांव की चार बहनों के प्रयास से ये कुकीज बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं. इन महिलाओं का जज्बा देखकर एक बड़ी कंपनी ने इन्हें फैक्टरी में काम करने की ट्रेनिंग दी. इनसे प्रेरित होकर गांव की कई महिलाएं इनके साथ जुड़ गई हैं. इनके बनाए महुआ कुकीज की मांग तेजी से बढ़ रही है.

तेलंगाना की बहनें भी महुआ को पकवान बना रहीं

प्रधानमंत्री ने कहा कि तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में भी 2 बहनों ने महुआ के फूलों के साथ एक नया प्रयोग किया है. वो महुआ से तरह-तरह के पकवान बनाती हैं, जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं. उनके पकवानों में आदिवासी संस्कृति की मिठास भी है. पीएम ने कहा कि मैं आपको एक और शानदार फूल के बारे में बताना चाहता हूं और इसका नाम है ‘कृष्ण कमल’. क्या आप गुजरात के एकता नगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी Statue of Unity को देखने गए हैं ? Statue of Unity के आसपास आपको ये कृष्ण कमल बड़ी संख्या में दिखेंगें. ये फूल पर्यटकों का मन मोह लेते हैं.

बारिश का 11 बिलियन क्यूबिक मीटर बानी बचाया

पानी बचाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बारिश की बूंदों को संरक्षित करके हम बहुत सारा पानी बर्बाद होने से बचा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं. मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूं. उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 वर्षों के दौरान नवनिर्मित टैंकों, तालाबों और अन्य जल पुनर्भरण संरचनाओं के माध्यम से 11 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी संरक्षित किया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी कितना होता है? गोविंद सागर झील में 9-10 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी संरक्षित नहीं किया जा सकता है.

कर्नाटक के दो गांवों के पानी बचाने का किस्सा

पीएम ने कहा कि कर्नाटका के गडग जिले के लोगों ने पानी बचाने में मिसाल कायम की है. कुछ साल पहले यहां के दो गांव की झीलें पूरी तरह सूख गईं. एक समय ऐसा भी आया जब वहां पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा. धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई. लेकिन गांव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए. गांव के लोगों के प्रयास देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं. सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई. अब लोगों को इंतजार है बारिश के मौसम का. वाकई, ये ‘catch the rain’ अभियान का शानदार उदाहरण है.

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Published: 30 Mar, 2025 | 01:14 PM

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