क्यों छिड़ी है MSP की लड़ाई.. धान-गेहूं और सरसों का गणित, जानिए सभी फसलों का दाम

कटाई के बाद जब उपज मंडी पहुंचती है तो कुछ ट्रेडर्स भाव को अधिक आवक बताकर कम कर देते हैं. किसान के पास स्टॉक करने की जगह नहीं होती है और वह मजबूरी में व्यापारी की ओर से तय कम कीमत पर अपनी उपज बेचता है.

रिजवान नूर खान
Noida | Updated On: 23 Mar, 2025 | 04:26 PM

पंजाब और हरियाणा के किसान सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मांग रहे हैं. किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर पंजाब में बीते 14 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करे, ताकि फसलों की खरीद कीमत तय हो सके. इससे किसानों को फसल आवक के समय कीमतें घटने से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा. हालिया घटनाक्रम में खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे कई बड़े किसान नेताओं को पंजाब सरकार ने हिरासत में ले लिया है, जिसके बाद सरकार और किसान आमने-सामने आ गए हैं.

एमएसपी पर क्या है C2+50% का फॉर्मूला

मनमोहन सरकार के समय किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आकलन के लिए कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में आयोग का गठन 2004 में किया गया था. स्वामीनाथन आयोग ने 2006 तक सरकार को कई रिपोर्ट सौंपी थीं. आयोग ने सरकार से की गई सिफारिशों में कहा था कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें फसल लागत का 50 ज्यादा दिया जाना चाहिए. इसे ही C2+50% का फॉर्मूला कहा जाता है और किसान इसी फॉर्मूले पर एमएसपी लागू करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि ट्रेडर्स और व्यापारी उपज स्टॉक रोककर कीमतों को अपने मुताबिक बढ़ा-घटा लेते हैं.

मंडी में कीमतों पर बिचौलियों की मोनोपोली

आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने किसान इंडिया को बताया कि एमएसपी गारंटी कानून इसलिए जरूरी है, क्योंकि किसान उपज की कीमत तय हो सके और उससे नीचे दाम पर खरीदने वालों पर कार्रवाई हो सके. किसान नेताओं ने बताया कि अकसर फसल कटाई के बाद जब उपज मंडी पर पहुंचती है तो कुछ ट्रेडर्स और व्यापारी भाव को अधिक आवक बताकर कम कर देते हैं. किसान के पास उपज स्टॉक करने की जगह नहीं होती है और वह मजबूरी में व्यापारी की ओर से तय कीमत पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होता है. जबकि, व्यापारी सीजन पर उपज स्टॉक करके उसकी बाजार कीमतों को बढ़ा लेते हैं और मनमाफिक दाम हासिल करते हैं. इससे उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है लेकिन किसान को वह दाम नहीं मिल पाता, व्यापारी मुनाफा बटोर ले जाते हैं.

आवक बढ़ते ही घट जाते हैं दाम बाद में व्यापारी उठाते हैं लाभ

किसान नेताओं ने कहा कि वर्तमान में प्याज की आवक मंडी में खूब हो रही है, इसलिए व्यापारियों ने अधिक आवक का फायदा उठाकर किसानों को उचित भाव नहीं दे रहे हैं. वर्तमान में महाराष्ट्र की कई मंडियों में प्याज की कीमतें 15 रुपये प्रति किलो हैं, जबकि इसी प्याज का दाम जुलाई के दौरान बाजार में 60 से 80 रुपये प्रति किलो हो जाएगा. यही हाल टमाटर, दाल, लहसुन समेत अन्य फसलों में भी देखा जाता है. इसीलिए किसान सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं, ताकि किसान को उसकी उपज का सही दाम मिल सके और व्यापारियों का बाजार मूल्य पर एकाधिकार खत्म हो सके.

..तो औने-पौने दाम पर उपज नहीं खरीद पाएंगे व्यापारी

केंद्र सरकार गन्ना समेत 23 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और एफआरपी पर खरीदती है. भारतीय किसान नौजवान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज जागलान कहते हैं कि सरकार किसान की कुल उपज का केवल 25 फीसदी ही खरीदती है, जबकि बाकी उपज व्यापारी और निजी ठेकेदार ही खरीदते हैं. ऐसे में अगर केंद्र सरकार एमएसपी गारंटी कानून लागू कर दे तो सरकार ने जो दाम फसल के लिए तय किया है उसी पर खरीद बाद में भी हो, फिर चाहे व्यापारी या निजी ठेकेदार ही क्यों न उपज की खरीद करें. इससे किसानों को किसी भी समय अपनी उपज बिक्री के लिए तय एमएसपी मिलना पक्का हो सकेगा. वर्तमान में सीजन और मांग के हिसाब से कृषि खाद्य वस्तुओं की कीमत बाजार में बदलती रहती है.

Minimum support price list crops

केंद्र सरकार गन्ना समेत 23 फसलों पर एमएसपी देती है.

केंद्र से तय एमएसपी पर बोनस या सहायता राशि देते हैं राज्य

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकार ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है. गन्ना के लिए अलग से उचित एवं लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी लागू किया जाता है. इस तरह से केंद्र सरकार कुल 23 फसलों को तय दाम पर खरीद करती है. इन सभी फसलों पर राज्य सरकारें अपने स्तर पर बोनस या सहायता राशि भी देती हैं. वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार, राजस्थान सरकार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्य अलग-अलग फसलों पर अधिक दाम दे रहे हैं.

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Published: 23 Mar, 2025 | 04:18 PM

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