देश में खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है, लगभग देश के सभी हिस्सों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरु कर दी है. राज्य सरकारें भी खरीफ फसलों की बुवाई को लेकर न केवल किसानों को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या न हो यह भी सुनिश्चित कर रही हैं. इसी कड़ी में बिहार कृषि विभाग ने प्रदेश के किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए उन्हें बुवाई से पहले बीजों के उपचार की विधियां बताई हैं. साथ ही किसानों को यह भी बताया है कि बीज उपचार जरूरी क्यों है.
बीज उपचार की 4 विधियां
सीड ड्रम विधि
इस विधि में बीजों को सीड ड्रम में डालकर बीजों के उपचार के लिए सही मात्रा में दवा और पानी की छींट डालकर ड्रम में लगे हैंडल को इस स्पीड से घुमाया जाता है कि बीज के ऊपर एक परत चढ़ जाए. इसके बाद बीजों को अच्छे से सुखाकर खेतों में बुवाई करें.
घड़ा विधि
इस विधि में घड़े में थोड़े बीज और उसी मात्रा में दवा डाली जाती है. इसी तरह से बीज और दवा डालकर घड़े का दो-तिहाई भाग भर दें. इसके बाद घड़े के मुंह को बंद कर इस तरह से हिलाएं कि उसमें बीज और दवाएं अच्छे से मिल जाएं.
स्लरी विधि
इस विधि में दवा की सही मात्रा को पानी में मिलाकर एक गाढ़ा घोल बनाएं. अब इस गाढ़े बनाए गए घोल को बीजों के ढेर के ऊपर डालें और अच्छी से तरह से मिला दें. ध्यान रहे कि आप दस्ताना पहनकर इस ढेर में घोल को मिलाएं.
घोल विधि
इस विधि में बीजों को एक तय समय अवधि के लिए पानी के घोल में रखा जाता है. तय समय के बाद पानी से बीजों को निकालकर अच्छे से सुखाकर बीजों की बुवाई की जाती है.
क्यों जरूरी है बीजोपचार
बुवाई से पहले स्टोर किए गए बीजों में अकसर फफूंद , बैक्टीरिया, वायरस और कीटों का संक्रमण हो जाता है. बीजों के उपचार करने से बीजों को उन कीटों से बचाया जा सकता है. जिससे बीजों की क्वालिटी में सुधार आता है और उतपादन भी बढ़ता है. इसके अलावा जिन बीजों का उपचार किया जाता है वे जल्दी और अक समान रूप से अंकुरित होते हैं, जिससे पौधे जड़ों से मजबूत होते हैं.