लाल सिंधी गाय भारत की देसी नस्लों में से एक है और यह दूध देने के मामले में सबसे बेहतरीन गाय मानी जाती है. इतना ही नहीं यह गाय अपनी शारीरिक शक्ति, बेहतर सेहत के लिए भी जानी जाती है. देखा जाए तो किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता अधिक है क्योंकि यह कम देखभाल में भी ज्यादा दूध दे सकती है. इसके अतिरिक्त इस गाय के दूध में वसा अधिक मात्रा में पाई जाती है. ऐसे में अगर किसान इसकी देखभाल अच्छे से करें तो यह उनको बेहतर मुनाफा भी दिला सकती है.
इस नस्ल की उत्पत्ति
ऐसा माना जाता है कि इस नस्ल की उत्पत्ति बलूचिस्तान के बेला राज्य में हुई थी, जहां इसे लास बेला मवेशी भी कहा जाता था. हालांकि धीरे-धीरे, इसकी लोकप्रियता और बढ़ती गई. इस समय यह गाय भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में पाई जाती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भीषण गर्मी और कठोर जलवायु में भी जीवित रह सकती है, जो कि इसे अन्य गयों की तुलना में विशेष बना देती है.
कैसी दिखती है लाल सिंधी गाय?
लाल सिंधी गाय का शरीर हल्के से गहरे लाल रंग का होता है.वहीं कुछ गायों के माथे पर छोटे सफेद धब्बे होते हैं, लेकिन इनके शरीर पर बड़े सफेद निशान नहीं पाए जाते. इस नस्ल के बैलों की बात की जाए तो उनके कंधों और जांघों के पास गहरे रंग के होते हैं , इसके अतिरिक्त इनके सींग मोटे और ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं. इस नस्ल की गायों की औसत ऊंचाई लगभग 120 सेंटीमीटर, और लंबाई 140 सेंटीमीटर होती है. यह नस्ल मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है.
कितना दूध देती है लाल सिंधी गाय?
लाल सिंधी गाय अपनी अच्छी दूध उत्पादन क्षमता के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. इस नस्ल की खास बात यह है कि यह एक ब्यान्त में औसतन 1840 लीटर दूध दे सकती है. वहीं न्यूनतम और अधितकम की बात कि जाए तो यह गाय 1100-2600 लीटर तक दूध उत्पादन कर सकती है. लाल सिंधी गाय की दूध देने की क्षमता और गुणवत्ता इसे किसानों के लिए फायदेमंद बनाती है.
इस नस्ल की कीमत
देखा जाए तो एक रेड सिंधी गाय की कीमत मार्केट में 20-80 हजार रुपये तक होती है. हालांकि यह कीमत रेड सिंधी गाय की दूध देने की क्षमता, स्वास्थ्य, उम्र और स्थान पर निर्भर करता है.