भारत-यूके समझौते से हल्दी को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय मंच, MSP और कीमतों में सुधार की आस

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हल्दी पैदा करने वाला देश है. यहां से करीब 80 फीसदी हल्दी दुनियाभर में जाती है. अब तक बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका और मलेशिया जैसे देश भारतीय हल्दी के बड़े खरीदार रहे हैं, लेकिन यूके इस लिस्ट में नहीं था.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 26 Jul, 2025 | 02:17 PM

अगर आप किसान हैं और हल्दी की खेती करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारत की हल्दी को एक नया और स्थायी विदेशी बाजार मिलने वाला है. इस समझौते के तहत भारतीय हल्दी को यूके में बिना किसी आयात शुल्क के निर्यात किया जा सकेगा. इसका मतलब है भारतीय किसानों को बेहतर दाम, स्थिरता भरा बाजार, और सीधे-सीधे फायदा.

हल्दी को मिलेगा नया बाजार

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हल्दी पैदा करने वाला देश है. यहां से करीब 80 फीसदी हल्दी दुनियाभर में जाती है. अब तक बांग्लादेश, यूएई, अमेरिका और मलेशिया जैसे देश भारतीय हल्दी के बड़े खरीदार रहे हैं, लेकिन यूके इस लिस्ट में नहीं था. अब जब व्यापार समझौते के जरिए यूके का बाजार भी खुलने जा रहा है, तो इससे हल्दी के निर्यात में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है.

क्यों खास है यूके बाजार?

यूके में बड़ी संख्या में भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के लोग रहते हैं, जो रोजमर्रा के खाने में हल्दी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में वहां हल्दी की मांग तो पहले से है, लेकिन अब जब यह भारतीय बाजार से सस्ते में और सीधे पहुंच सकेगी, तो व्यापारियों और किसानों दोनों को लाभ होने की उम्मीद है.

किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?

तेलंगाना के किसान बताते हैं कि अभी हल्दी की कीमतें बहुत अस्थिर रहती हैं. कभी बहुत कम रेट मिलते हैं, तो कभी अचानक से रेट बढ़ जाते हैं. लेकिन अगर यूके जैसे स्थिर और बड़ा बाजार जुड़ता है, तो स्थिर और अच्छा भाव मिल सकता है. व्यापारी भी ज्यादा खरीदारी करेंगे, जिससे किसानों को समय पर पैसा मिलेगा और उत्पाद बेचने में परेशानी नहीं होगी.

कितना होता है हल्दी का उत्पादन?

2024-25 में भारत में 11.16 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ. इसमें से करीब एक चौथाई उत्पादन महाराष्ट्र से आया, जबकि तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक भी बड़े उत्पादक राज्य हैं. लेकिन, देश में हर साल बहुत सी हल्दी स्टोर में पड़ी रह जाती है क्योंकि बाजार कमजोर होता है. अब यूके में डिमांड बढ़ने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की कमाई में सुधार हो सकता है.

क्या कहते हैं जानकार?

हाल ही में गठित हल्दी बोर्ड के चेयरमैन पल्ले गंगाधर रेड्डी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक हल्दी का निर्यात 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. यूके के साथ व्यापार समझौता इस लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है.

कब तक मिल सकता है असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 की कटाई के मौसम यानी फरवरी से अप्रैल के बीच हल्दी की कीमतें 11,900 से 12,300 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं. अगर डिमांड और बढ़ी तो यह कीमत और ऊपर भी जा सकती है.

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