खेती से कारोबार तक जरूरी हैं कृषि लाइसेंस, जानिए कौन कहां काम आता है

कृषि लाइसेंस एक सरकारी दस्तावेज होता है, जो आपको खेती या कृषि से जुड़े कारोबार जैसे बीज, खाद, कीटनाशक की बिक्री या पशुपालन करने की कानूनी अनुमति देता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 26 Jul, 2025 | 02:20 PM

अगर आप खेती-बाड़ी करते हैं या बीज, खाद या कीटनाशक का व्यापार करना चाहते हैं, तो आपने ‘कृषि लाइसेंस’ का नाम जरूर सुना होगा. लेकिन ये लाइसेंस आखिर होता क्या है? क्यों जरूरी है? और कैसे बनता है? आइए, जानते है इससे जुड़ी हर जरूरी बात.

कृषि लाइसेंस क्या होता है?

कृषि लाइसेंस एक सरकारी दस्तावेज होता है, जो आपको खेती या कृषि से जुड़े कारोबार जैसे बीज, खाद, कीटनाशक की बिक्री या पशुपालन करने की कानूनी अनुमति देता है. बिना लाइसेंस के कई काम करना अवैध माना जाता है, और इससे जुड़ी योजनाओं या सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता.

कृषि लाइसेंस क्यों जरूरी है?

  • अगर आप खाद-बीज या कीटनाशक बेचते हैं, तो ये कानूनन जरूरी है.
  • किसान अगर बड़े स्तर पर बीज उत्पादन या जैविक खेती करते हैं, तो लाइसेंस से सरकारी मान्यता मिलती है.
  • इससे आपको सब्सिडी, कृषि लोन और बाजार में भरोसा मिलता है.

कौन-कौन से कृषि लाइसेंस होते हैं?

खेती का लाइसेंस

कृषि भूमि का स्वामित्व या पट्टा लेकर उस पर खेती करना हो, तो कुछ राज्यों में ‘खेती का लाइसेंस’ या ‘कृषि भूमि उपयोग की अनुमति’ लेना जरूरी होता है. यह लाइसेंस राज्य सरकार या तहसील स्तर के राजस्व विभाग से मिलता है. खासकर तब, जब कोई व्यक्ति किसान नहीं है और वह जमीन पर खेती करना चाहता है, तो यह लाइसेंस जरूरी होता है.

बीज उत्पादन/विक्रय लाइसेंस

अगर कोई किसान या कंपनी बीज तैयार करता है या बेचता है, तो उसे बीज अधिनियम 1966 के तहत लाइसेंस लेना होता है. यह लाइसेंस कृषि विभाग द्वारा जारी किया जाता है. बीज की गुणवत्ता, पैकेजिंग, परीक्षण और लेबलिंग की शर्तों का पालन करना इस लाइसेंस के लिए जरूरी होता है.

उर्वरक और कीटनाशक लाइसेंस

जो व्यापारी उर्वरक, कीटनाशक या अन्य कृषि रसायन बेचना चाहते हैं, उन्हें ‘फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO)’ और ‘इनसेक्टिसाइड्स एक्ट 1968’ के तहत लाइसेंस लेना होता है. इसके लिए संबंधित राज्य कृषि विभाग या कृषि निदेशालय से आवेदन करना होता है. साथ ही, एक प्रशिक्षित व्यक्ति की नियुक्ति या खुद प्रशिक्षण जरूरी होता है.

पशुपालन लाइसेंस

डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री, मत्स्य पालन (फिशरी) या बकरी पालन जैसे कार्यों के लिए भी स्थानीय नगर निकाय या पशुपालन विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी होता है. यह लाइसेंस इस बात की गारंटी देता है कि पशुओं की देखभाल, सफाई और स्वास्थ्य मानकों का पालन हो रहा है.

ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन

अगर आप जैविक खेती करते हैं और अपने उत्पादों को जैविक (ऑर्गेनिक) टैग के साथ बेचना चाहते हैं, तो आपके पास प्रमाणित ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेट होना चाहिए. यह प्रमाणन राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के तहत अनुमोदित एजेंसियों द्वारा दिया जाता है. यह प्रमाणपत्र मिलने से उत्पादों की बाजार में मांग और मूल्य दोनों बढ़ जाते हैं.

कृषि लाइसेंस बनाने के लिए जरूरी दस्तावेज

  • आधार कार्ड / पैन कार्ड (पहचान प्रमाण)
  • राशन कार्ड / बिजली बिल (पता प्रमाण)
  • खेत की जमीन के कागज (खसरा-खतौनी या किराए का एग्रीमेंट)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • आवेदन फॉर्म (राज्य के कृषि विभाग से)
  • विशेष दस्तावेज (जैसे बीज की टेस्ट रिपोर्ट, गोदाम का प्रमाण आदि)

कृषि लाइसेंस कैसे बनवाएं?

1. आवेदन करें
अपने राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाएं या नजदीकी कृषि कार्यालय से फॉर्म लें.

2. दस्तावेज जमा करें
आवश्यक दस्तावेज फॉर्म के साथ जमा करें. कहीं-कहीं ऑनलाइन अपलोड का विकल्प भी होता है.

3. फीस भरें
लाइसेंस की फीस राज्य और लाइसेंस के प्रकार के हिसाब से तय होती है.

4. निरीक्षण
अधिकारी आपके फॉर्म और लोकेशन की जांच कर सकते हैं.

5. लाइसेंस प्राप्त करें
सब कुछ सही रहा तो कुछ ही समय में आपको आपका लाइसेंस मिल जाएगा.

कृषि लाइसेंस के फायदे

  • कानूनी सुरक्षा- बिना डर काम कर सकते हैं
  • सरकारी योजनाओं का लाभ- सब्सिडी, बीमा, स्कीम
  • बैंक से लोन में आसानी- खेती या व्यापार के लिए ऋण
  • ग्राहकों का भरोसा- लाइसेंस देखकर ग्राहक भी निश्चिंत होता हैॉ
  • बड़े व्यापार का रास्ता खुलता है- निर्यात या ऑनलाइन मार्केटिंग भी आसान

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Published: 26 Jul, 2025 | 01:54 PM

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