मई 2025 में हल्दी के दामों में हल्की गिरावट देखने को मिली है. महीने की शुरुआत में जहां दाम 14,942 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे, वहीं महीने के अंत तक ये गिरकर 13,600 रुपये के आसपास आ गए. इस गिरावट की वजह मानी जा रही है तेज बुवाई, बढ़ती मंडी आवक और कुछ जगहों पर गुणवत्ता में आई गिरावट.
समय से पहले मानसून आया, बुवाई में आई तेजी
इस बार मानसून समय से पहले दस्तक दे गया, जिससे हल्दी उत्पादक राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में बुवाई ने रफ्तार पकड़ ली. शुरुआती अनुमान बता रहे हैं कि इस बार हल्दी की बुवाई का रकबा 15–18 फीसदी तक बढ़ सकता है. किसानों को पिछले कुछ महीनों में हल्दी के अच्छे दाम मिले, जिससे वे इस फसल की ओर आकर्षित हुए हैं.
मंडी में बढ़ी आवक, कीमतों पर पड़ा असर
सांगली, वारंगल और निजामाबाद जैसे प्रमुख बाजारों में हल्दी की आवक स्थिर बनी रही. सांगली में तो 90 फीसदी नई फसल पहले ही आ चुकी है. मई में हल्दी की कुल आवक करीब 27,708 क्विंटल रही, जो अप्रैल (45,040 क्विंटल) से कम थी, लेकिन फिर भी बाजार में आपूर्ति पर्याप्त बनी रही.
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में बारिश और जलभराव के कारण हल्दी की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में छोटे आकार की गांठें और कम करक्यूमिन (curcumin) स्तर वाली हल्दी आई है, जिससे कमजोर गुणवत्ता वाली फसल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई.
निर्यात से मिला थोड़ी राहत का संकेत
मई 2025 में भारत से हल्दी का निर्यात 6.5 फीसदी बढ़कर 12,538 मीट्रिक टन तक पहुंच गया. अप्रैल से फरवरी 2024–25 के बीच कुल निर्यात 1.61 लाख मीट्रिक टन रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 11.5 फीसदी अधिक है. UAE, अमेरिका और जापान जैसे देशों से मांग बनी हुई है, जिससे हल्दी कारोबार को थोड़ी राहत मिल रही है.
कीमतें रह सकती हैं सीमित दायरे में
बाजार जानकारों का मानना है कि जून में भी हल्दी की कीमतें ज्यादा ऊपर या नीचे नहीं जाएंगी, क्योंकि आवक का पीक और बुवाई का रकबा धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है. तकनीकी विश्लेषण के अनुसार 13,800 रुपये के आसपास खरीदारी करना फायदेमंद हो सकता है, जिसमें 14,800 से 15,400 रुपये तक का लक्ष्य रखा जा सकता है, और 13,100 रुपये पर स्टॉप-लॉस सुझाया गया है.