ऑर्गेनिक फार्मिंग यानी जैविक खेती दिन पर दिन तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है. इसका उदाहरण है देश के किसानों का इसके लिए बने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया जाना. देश के कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने इस बारे में पिछले दिनों राज्यसभा में एक लिखित जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से मिले समर्थन के बाद अब तक लाखों किसान इस तरनफ आकर्षित हुए हैं और उन्होंने पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.
क्या कहते हैं आंकड़ें
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों के तहत फरवरी 2025 तक 6.22 लाख से ज्यादा किसानों ने जैविक खेती पोर्टल के तहत रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) और भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस-इंडिया) के तहत प्रमाणित कुल जैविक खेती क्षेत्र विभिन्न राज्यों में 59.74 लाख हेक्टेयर है.
सरकार ने लागू की 2 योजनाएं
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दो प्रमुख योजनाएं लागू की हैं- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER). जबकि PKVY सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (पूर्वोत्तर को छोड़कर) में संचालित होता है. MOVCDNER को खासतौर पर नॉर्थ ईस्ट के किसानों के लिए बनाया गया है. ये योजनाएं उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण), सर्टिफिकेशन (प्रमाणन) और मार्केटिंग तक बड़े स्तर पर सहायता प्रदान करती हैं.
परंपरागत कृषि विकास योजना में 31 हजार रुपये मदद
पीकेवीवाई के तहत किसानों को तीन साल में प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की आर्थिक मदद मिलती है. इसमें जैविक इनपुट के लिए 15,000 रुपये सीधे किसानों को ट्रांसफर किए जाते हैं. इसी तरह, एमओवीसीडीएनईआर के तहत तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 46,500 रुपये दिए जाते हैं. इसमें जैविक इनपुट के लिए 32,500 रुपये और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के तौर पर 15,000 रुपये शामिल हैं. इन पहलों का मकसद वित्तीय और तकनीकी सहायता सुनिश्चित करते हुए किसानों को जैविक प्रथाओं को आसानी से अपनाने में मदद करना है.
क्या है पोर्टल बनाने का मकसद
किसानों को ज्यादा कीमत हासिल करने में मदद करने के लिए, सरकार ने ग्राहकों को जैविक उत्पादों की सीधी बिक्री के लिए एक ऑनलाइन विपणन मंच के रूप में www.Jaivikkheti.in वेबसाइट लॉन्च की थी. जैविक खेती में गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए दो तरह के सर्टिफिकेशन सिस्टम को शुरू किया गया.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एनपीओपी सर्टिफिकेशन जैविक उत्पाद निर्यात पर केंद्रित है. इसमें उत्पादन, प्रोसेसिंग, व्यापार और निर्यात आवश्यकताओं को शामिल किया गया है. वहीं, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत पीजीएस-इंडिया सर्टिफिकेशन एक सहभागी प्रणाली है, जहां किसान घरेलू बाजार की मांग को पूरा करते हुए एक-दूसरे की जैविक खेती प्रथाओं का मूल्यांकन और सत्यापन करते हैं.
किसानों को मिलती आर्थिक मदद
सरकार ने मूल्य संवर्धन, मार्केटिंग और प्रचार के लिए तीन वर्षों के लिए 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से पीकेवीवाई के तहत वित्तीय सहायता भी आवंटित की है. सर्टिफिकेशन, ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण के लिए अतिरिक्त सहायता 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रदान की जाती है, जबकि किसान सहायता के लिए 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर आवंटित किए जाते हैं. एमओवीसीडीएनईआर के तहत, तीन वर्षों में प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर उपलब्ध हैं.