Kisan Andolan: किसान संगठनों और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने घोषणा की है कि 26 नवंबर को पूरे देश में प्रदर्शन होंगे. यह प्रदर्शन दिल्ली की ओर किसानों के मार्च के पांच साल पूरे होने पर किए जा रहे हैं, ताकि सरकार को उसके अधूरे वादों की याद दिलाई जा सके. 2020-21 किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि सरकार ने किसानों से किए गए किसी भी अहम वादे पर अमल नहीं किया है. अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि MSP (C2+50 फीसदी), कर्ज माफी और बिजली के निजीकरण रोकने जैसे मुद्दों पर कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे किसान नाराज हैं.
हालांकि तीन कृषि कानून वापस ले लिए गए थे, लेकिन SKM नेताओं ने कहा कि लेबर कोड अभी भी लागू हैं, जिनका ट्रेड यूनियनें भी विरोध कर रही हैं. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को देशभर के जिला और राज्य मुख्यालयों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होंगे. दिल्ली के जंतर-मंतर और नोएडा में भी प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे. SKM ने याद दिलाया कि 26 नवंबर वह तारीख है, जब पांच साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का ऐतिहासिक संघर्ष शुरू हुआ था, जिसे ट्रेड यूनियनों का भी पूरा समर्थन मिला था.
क्या है किसानों की मांग
एसकेएम ने कहा कि किसानों के 736 साथियों ने अपनी जानें गंवाईं और 380 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े. लेकिन 9 दिसंबर 2021 को सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों पर आज तक अमल नहीं हुआ. एसकेएम के अनुसार, देश के किसान भारी संकट में हैं. धान की बिकवाली 1,400 रुपये प्रति क्विंटल, कपास 6,000 रुपये प्रति क्विंटल और मक्का 1,800 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रही है, जबकि धान का MSP (C2+50 फीसदी) के हिसाब से 3,012 रुपये होना चाहिए.
16.41 लाख करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट कर्ज माफ
एसकेएम ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने 16.41 लाख करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट कर्ज माफ किया है, लेकिन पिछले 11 साल में किसानों का एक भी रुपया माफ नहीं किया गया. उन्होंने MSP को कानूनी दर्जा (C2+50 फीसदी फॉर्मूले के साथ), किसानों और कृषि मजदूरों के लिए व्यापक कर्ज माफी, बिजली और सरकारी उपक्रमों के निजीकरण पर रोक, स्मार्ट मीटर बंद करने, बिजली बिल 2025 को रद्द करने और हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांग की.
सीड बिल 2025 वापस लिया जाए
एसकेएम ने भारत के व्यापार समझौतों को लेकर भी चिंता जताई. उनका कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाना देश की संप्रभुता का उल्लंघन है और भारत को भी कड़ा जवाब देना चाहिए. उन्होंने मांग की कि किसानों और मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी FTA पर हस्ताक्षर न हों, खासकर इंडो-यूके FTA, CETA को रद्द किया जाए और सीड बिल 2025 वापस लिया जाए. एसकेएम ने चारों लेबर कोड खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी के अधिकार की सुरक्षा करने और गंभीर बाढ़ व प्राकृतिक आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की. उन्होंने प्रभावित राज्यों के लिए पूर्ण मुआवजा, पंजाब के लिए 25,000 करोड़ रुपये और सभी आपदाग्रस्त राज्यों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की मदद लागू करने की बात कही.