Wheat sowing: गेहूं की बुवाई करने की तैयारी कर रहे किसानों के लिए खुशखबरी है. अगर वे समय पर गेहूं की बुवाई करते हैं, तो पैदावार अच्छी होगी. क्योंकि एक अध्ययन से पता चला है कि अगर गेहूं समय पर बोया जाए तो इसकी पैदावार 69 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है और इससे धान की पैदावार या फायदा प्रभावित नहीं होता. खास बात यह है कि वाराणसी स्थित IRRI- ISARC ने विश्व बैंक के UPAGREES प्रोजेक्ट के तहत किसानों को समय पर बुवाई करने में मदद के लिए कई कदम उठाए हैं.
IRRI–ISARC के निदेशक सुधांशु सिंह के अनुसार, देरी मुख्य रूप से पिछली धान की फसल की देर से बुवाई और कटाई के कारण होती है. इसके अलावा, लंबी अवधि वाली धान की किस्मों का उपयोग और धान की नर्सरी में देरी भी गेहूं की बुवाई को पीछे खींचती है. बुवाई में देरी से तिल्ली बनना, फूलना और दाने भरना प्रभावित होता है, जिससे गेहूं अपनी पूरी पैदावार क्षमता नहीं दिखा पाता. यह समस्या पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे गंभीर है, जहां लगभग 60 फीसदी गेहूं के खेत निर्धारित समय से काफी देर से बोए जाते हैं.
देरी से गेहूं बुवाई के नुकसान
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुधांशु सिंह का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच सीधा संबंध है. एक नवम्बर के बाद धान में हर दिन की देरी गेहूं की बुवाई में 0.8 दिन की देरी ला देती है. देर से बोए गए गेहूं पर अनंतिम गर्मी का दबाव पड़ता है, जिससे दाने सिकुड़ जाते हैं और पैदावार व बाजार मूल्य घट जाते हैं. समय पर बुवाई करने से गेहूं गर्मी से पहले पूरी तरह पनप सकता है.
कब करें गेहूं की बुवाई
उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई का आदर्श समय 1 से 20 नवम्बर है. इस समय बोए गए गेहूं को ठंडे मौसम में तिल्ली बनने और दाने भरने का सही मौका मिलता है. 20 नवम्बर के बाद बुवाई में रोजाना 40 से 50 किलो प्रति हेक्टेयर पैदावार की कमी होती है. समय पर बुवाई करने से गेहूं की पैदावार 69 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है. Direct Seeded Rice (DSR) से धान की कटाई 7 से 10 दिन जल्दी हो जाती है और पानी, मजदूरी व ईंधन की बचत होती है. मशीन से कटाई और बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन से खेत तुरंत खाली किए जा सकते हैं. साथ ही 3 से 4 दिन और बचाए जा सकते हैं और पराली जलाने की जरूरत नहीं होती.
गेहूं बुवाई की सही तकनीक
Zero Tillage (शून्य जुताई) गेहूं बिना जुताई सीधे बोया जा सकता है. यह समय पर बुवाई में मदद करता है, मिट्टी की नमी बचाता है, मिट्टी की सेहत सुधारता है, मजदूरी और ईंधन की लागत घटाता है और देर से बुवाई की समस्या दूर करता है. समय पर बुवाई से गेहूं की महत्वपूर्ण वृद्धि अवस्थाएं ठंडे मौसम में आती हैं, जिससे पैदावार और दाने की गुणवत्ता बढ़ती है.