Uttar Pradesh News: अब केवल धान की ही नहीं, बल्कि गेहूं की भी सीधी बुवाई होगी. गेहूं की सीधी बुवाई करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार का मानना है कि इससे पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आएगी और गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी होगी. इससे किसानों का खेती में मुनाफा बढ़ जाएगा. खास बात यह है कि गोरखपुर कृषि विभाग गेहूं की सीधी बुवाई को बढ़ावा दे रहा है. साथ ही गोरखपुर में कृषि विभाग ने ‘सुपर सीडर’ और ‘हैप्पी सीडर’ मशीनों से गेहूं की सीधी बुवाई शुरू की है. कहा जा रहा है कि कृषि विभाग की यह जिले में नई पहल है.
कृषि विभाग का कहना है कि गेहूं की सीधी बुवाई से किसानों की मेहनत और खर्च दोनों कम होंगे. साथ ही पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी. इस बार 12,000 हेक्टेयर में गेहूं की खेती के लिए ‘सीधी बुवाई (लाइन सोइंग)’ की नई तकनीक सिखाई जा रही है. सरकार इस तकनीक में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक मशीनों जैसे ‘सुपर सीडर’ और ‘हैप्पी सीडर’ पर भारी सब्सिडी दे रही है. खास बात यह है कि ‘सुपर सीडर’ मशीन ट्रैक्टर से चलती है और एक ही बार में कई काम करती है. यह खेत की जुताई करती है, धान की पराली को छोटे टुकड़ों में काटकर मिट्टी में मिलाती है और साथ ही गेहूं के बीज बो देती है.
दिल्ली-NCR और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण कम होगा
इस नई तकनीक से किसानों का समय और मेहनत दोनों बचेंगे क्योंकि उन्हें बार-बार खेत की जुताई नहीं करनी पड़ेगी. ऐसे में लागत भी कम होगी क्योंकि बीज, पानी और खाद की खपत पारंपरिक खेती से कम होगी, जिससे आय बढ़ेगी. साथ ही, धान की पराली मिट्टी में मिलकर उसे उर्वर बनाएगी और नमी बनी रहेगी. सबसे बड़ा फायदा यह है कि पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे दिल्ली-NCR और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण कम होगा.
11 हजार हेक्टेयर में होगी गेहूं की सीधी बुवाई
विशेषज्ञों के अनुसार, सीधी बुआई से फसल की पैदावार में लगभग 5 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है और बुवाई की लागत लगभग 50 फीसदी तक कम हो सकती है. यानी इस तकनीक से गेहूं की बुवाई करने पर किसानों की कमाई बढ़ जाएगी. ‘सुपर सीडर’ तकनीक पराली को मिट्टी में मिला देती है, इसलिए इसे जलाने की जरूरत नहीं रहती. इससे किसानों को फायदा मिलता है और प्रदूषण भी कम होता है. अभी विभाग ने 800 हेक्टेयर में इसका प्रदर्शन शुरू किया है और कुल 11 हजार हेक्टेयर में इसे अपनाने का लक्ष्य रखा है, जो जिले की खेती और पर्यावरण दोनों के लिए सकारात्मक बदलाव लाएगा.