सर्दियों में पशुपालकों के लिए बरसीम बना वरदान, दूध बढ़ाए और सेहत सुधारे

सर्दियों में पशुपालकों के लिए बरसीम वरदान से कम नहीं है. यह चारा न सिर्फ दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि दूध की मात्रा और गुणवत्ता में भी वृद्धि करता है. जानिए बरसीम की कौन सी वैरायटी है पौष्टिक तत्वों से भरपूर.

किसान इंडिया डेस्क
नोएडा | Published: 23 Dec, 2025 | 01:44 PM
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Animal Care Tips: हरा चारा दुधारू पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य और दूध उत्पादन दोनों के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. पशुपालकों को हमेशा चारे की समस्या से जूझना पड़ता है. लेकिन सर्दियां आते ही यह समस्या और भी विकराल हो जाती है. ठंड के मौसम में डेयरी फार्मिंग और पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए बरसीम हरा चारा बहुत विकल्प सिद्ध होता है. इस मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाला यह चारा दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ दूध उत्पादन बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. पशुपालकों के बीच इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.

पोषक तत्वों से भरपूर बरसीम

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पशुपालक बताते हैं कि बरसीम में प्रोटीन, फास्फोरस और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ये तत्व पशुओं की ताकत बढ़ाने के साथ दूध की मात्रा और गुणवत्ता में भी सुधार करते हैं. यही वजह है कि सर्दियों में बरसीम को पशुओं के आहार में विशेष महत्व दिया जाता है. पशुपालकों के अनुसार बरसीम की मसकावी, बीएल-10 वैरायटी पौष्टिक तत्वों से भरपूर है और यह चारा न सिर्फ दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि दूध की मात्रा और गुणवत्ता में भी वृद्धि करता है.

बरसीम की तीन उन्नत किस्में

पशुपालकों के अनुसार, बरसीम की तीन उन्नत किस्में सबसे अधिक प्रचलन में हैं. पहली मसकावी बरसीम, जो तेजी से बढ़ती है और बार-बार कटाई के लिए उपयुक्त है. दूसरी वरदान (Vardan) किस्म, जिसमें हरे चारे की उपज अधिक होती है और यह ठंड को आसानी से सहन कर लेती है. तीसरी बीएल-10 या जेएचबी-146 जैसी उन्नत किस्में हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ अधिक प्रोटीन प्रदान करती है. वे आगे बताते हैं कि किसान भाई सही वैरायटी का चयन कर के पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर रख पाएंगे साथ ही दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

बरसीम खिलाने के दौरान सावधानी

पशुओं को बरसीम खिलाते समय पशुपालकों को कुछ सावधानियाँ बरतने की जरूर होती है. विशेषज्ञों के अनुसार बरसीम को हमेशा सूखे भूसे या पराली के साथ मिलाकर खिलाना चाहिए, ताकि अफरा (ब्लोटिंग) की समस्या न हो. सुबह ओस लगी बरसीम सीधे खिलाने से बचना चाहिए. कटाई के बाद चारे को कुछ देर मुरझाने देना लाभकारी होता है, वहीं छोटे बछड़ों को सीमित मात्रा में ही यह चारा देना चाहिए.

दूध उत्पादन और आय में बढ़ोतरी

पशुपालकों और विशेषज्ञों का कहना है कि संतुलित मात्रा में बरसीम खिलाने से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. इसके साथ पशुओं की पाचन शक्ति, प्रजनन क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य में भी सुधार आता है. यदि बरसीम के साथ खनिज मिश्रण और स्वच्छ पानी की अच्छी व्यवस्था की जाए, तो डेयरी फार्मिंग से होने वाली आय में दोगुनी तक बढ़ोतरी संभव है.

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