झींगा से लेकर हीरे तक देश की पकड़ बरकरार, जानिए क्यों भारत के बिना नहीं चलेगा अमेरिका का काम?

अमेरिका भले ही टैक्स और जुर्माने के जरिए दबाव बना रहा हो, लेकिन हकीकत ये है कि कई जरूरी उत्पादों में भारत का कोई विकल्प नहीं है. झींगा से लेकर हीरे, गहनों और टायर्स तक मेरिका को भारत के बिना अपनी जरूरतें पूरी करना बेहद मुश्किल होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 2 Aug, 2025 | 12:01 PM

हाल ही में अमेरिका ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर भारी टैक्स और जुर्माना लगा दिया है यानी अब भारत से जो सामान अमेरिका जाएगा, उस पर 25 फीसदी तक अतिरिक्त टैक्स और दंड भरना पड़ेगा. यह फैसला दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को दिखाता है. लेकिन क्या अमेरिका वाकई भारत को नजरअंदाज कर सकता है? हकीकत कुछ और ही कहती है.

झींगा निर्यात में भारत की बादशाहत

झींगा यानी शिम्प (Shrimp) अमेरिका के लिए एक बेहद अहम और लोकप्रिय खाद्य प्रोडक्ट है, और इस क्षेत्र में भारत की बादशाहत कायम है. भारत अकेले जितना झींगा अमेरिका को निर्यात करता है, उतना मिलाकर भी दुनिया के तीन बड़े निर्यातक देश नहीं भेज पाते. यह आंकड़ा भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत स्थिति को दर्शाता है.

दरअसल, अमेरिका में खपत होने वाले झींगे का बड़ा हिस्सा भारत से ही आता है. ऐसे में अगर अमेरिका भारत के खिलाफ टैक्स या जुर्माने जैसे कड़े कदम उठाता है, तो इसका असर सीधे उसकी जनता की प्लेट पर पड़ेगा यानी उन्हें अपने भोजन से झींगा गायब करना पड़ेगा. इससे यह साफ होता है कि भारत को नजरअंदाज करना अमेरिका के लिए खुद नुकसानदायक साबित हो सकता है.

हीरे और गहनों में भारत ही असली राजा

कट और पॉलिश हीरों (Cut & Polished Diamonds) के मामले में भारत की जगह कोई दूसरा देश नहीं ले सकता. दुनिया की सबसे चमकदार और बारीक तराशी गई हीरों की सबसे बड़ी सप्लाई भारत से होती है. अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले हीरों का करीब 46% हिस्सा भारत से ही आता है. सिर्फ यही नहीं, ज्वेलरी के क्षेत्र में भी भारत की हिस्सेदारी 42 फीसदी से अधिक है. अमेरिका में बिकने वाले हर दो में से एक आभूषण में भारतीय कारीगरी की चमक होती है.

ऐसे में अगर अमेरिका व्यापारिक रणनीति में भारत को दरकिनार करता है, तो उसे न सिर्फ उच्च गुणवत्ता के हीरे और गहनों की आपूर्ति में मुश्किलें होंगी, बल्कि यह कदम उसके खुद के कीमती उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है. भारत इस क्षेत्र में सिर्फ एक सप्लायर नहीं, बल्कि अमेरिका की सबसे भरोसेमंद साझेदार है.

रसोई और टेबल लिनन में भारत का दबदबा

भारत सिर्फ हीरे और इंजीनियरिंग सामान ही नहीं, बल्कि रसोई और टेबल लिनन जैसे घरेलू उत्पादों में भी दुनिया में सबसे आगे है. मेजपोश, नैपकिन और किचन टॉवल जैसे आइटम्स में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी तक पहुंच चुकी है.

अमेरिका जैसे बड़े बाजार में इन उत्पादों की भारी मांग है, और यहां भारत की बनी चीजें सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं. पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देश अब भी काफी पीछे हैं. मतलब ये कि घर की सजावट से लेकर होटल इंडस्ट्री तक, अमेरिका भारत पर ही निर्भर है.

खेती और फॉरेस्टरी टायर्स में भी भारत नंबर 1

भारत अब सिर्फ गहनों या खाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि खेती और जंगलों में काम आने वाले भारी-भरकम टायर्स की दुनिया में भी उसका दबदबा है. अमेरिका जैसे बड़े बाजार में भारतीय टायर्स सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं. इस कैटेगरी में भारत की पकड़ इतनी मजबूत है कि फिलहाल अमेरिका के पास इसका कोई ठोस विकल्प ही नहीं है. यह साफ दिखाता है कि ‘मेड इन इंडिया’ अब ग्लोबल इंडस्ट्री और उपकरणों की रीढ़ बनता जा रहा है.

भारत भी पीछे नहीं हटेगा, नए बाजारों की तलाश तेज

अमेरिका के टैक्स बढ़ाने के कदम का जवाब देने के लिए भारत भी अपनी तैयारी में जुट गया है. सरकार अब UK, UAE, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर तेजी से काम कर रही है. इसका मतलब ये है कि अगर अमेरिका किसी भारतीय प्रोडक्ट पर टैक्स बढ़ाता है, तो भारत उसी सामान को दूसरे दोस्ताना देशों में बेचकर नया बाजार तैयार कर सकता है. इससे भारतीय निर्यातकों को झटका नहीं लगेगा और व्यापार भी जारी रहेगा.

उदाहरण के लिए अगर अमेरिका T-shirts पर ज्यादा टैक्स लगाएगा, तो भारत उसे UK और जापान में भेज सकता है. ब्रेक पार्ट्स, स्टैटिक कनवर्टर्स, इलेक्ट्रिक मोटर्स जैसे तकनीकी सामान के भी वैकल्पिक बाजार मौजूद हैं.

विकल्प अमेरिका के पास कम, भारत के पास ज्यादा

अमेरिका भले ही टैक्स और जुर्माने के जरिए दबाव बना रहा हो, लेकिन हकीकत ये है कि कई जरूरी उत्पादों में भारत का कोई विकल्प नहीं है. झींगा से लेकर हीरे, गहनों और टायर्स तक मेरिका को भारत के बिना अपनी जरूरतें पूरी करना बेहद मुश्किल होगा. भारत अगर सही रणनीति अपनाए और नए बाजारों पर फोकस करे, तो इस चुनौती को भी मौके में बदल सकता है.

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