ट्रंप का टैरिफ बम: 60,000 करोड़ के झींगा कारोबार पर मंडराया संकट, जानिए रोजगार-एक्सपोर्ट पर क्या होगा असर?

अमेरिका के नए फैसले से भारत को निर्यात में झटका लग सकता है, जबकि इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को सीधा फायदा होगा. इन देशों पर आयात टैक्स की दर भारत के मुकाबले काफी कम है.

नई दिल्ली | Published: 31 Jul, 2025 | 07:51 AM

भारत की समुद्री खाद्य निर्यात इंडस्ट्री, जो करीब 60,000 करोड़ रुपये की है, इन दिनों तूफान के दौर से गुजर रही है. तूफान असली नहीं है, लेकिन असर असली है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी का नया आयात शुल्क (टैरिफ) थोपने का ऐलान कर दिया है. ये फैसला एक अगस्त से लागू हो रहा है और इसका सबसे सीधा असर भारत के झींगा (श्रिम्प) निर्यात पर पड़ने वाला है.

देश के करोड़ों किसानों, मत्स्य पालकों और श्रमिकों की कमाई और रोजगार इस इंडस्ट्री से जुड़ी है, और अब यह संकट में आ गई है. देश के कोस्टल राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बंगाल, केरल और गुजरात से लेकर कोंकण बेल्ट तक हर कोई परेशान है.

झींगा इंडस्ट्री पर सीधा वार

भारत का सबसे बड़ा समुद्री खाद्य उत्पाद है फ्रोजन श्रिम्प, जो पूरे एक्सपोर्ट का करीब 40,000 करोड़ रुपये यानी दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा है. इनमें से 40 फीसदी श्रिम्प अमेरिका को भेजे जाते हैं. ऐसे में अमेरिका का टैरिफ बढ़ाना, इस कारोबार की कमर तोड़ सकता है.

वर्तमान में भारतीय निर्यातकों पर 10 फीसदी टैरिफ, 4.5 फीसदी एंटी-डंपिंग ड्यूटी और 5.8 फीसदी काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगती है. अब उसमें 15 फीसदी और जुड़ जाएगा यानी कुल मिलाकर लगभग 35 फीसदी टैक्स देना होगा.

“हम ये नहीं झेल सकते” – इंडस्ट्री की गुहार

सीफूड एक्सपोर्टस के अनुसार, ये इंडस्ट्री पहले से ही भारी टैक्स झेल रही है, ऐसे में अब और 15 फीसदी जोड़ दिया गया तो इंडस्ट्री रुक जाएगी. 2 करोड़ लोगों की आजीविका संकट में आ जाएगी. इतना ही नहीं भारत का 1,500 करोड़ के माल से लदे जहाज अभी समंदर में हैं. जिसपर नया टैक्स लागू होगा या नहीं इसकी जानकारी तटों पर पहुंचने पर ही लगेगी.

इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम को फायदा

अमेरिका के नए फैसले से भारत को निर्यात में झटका लग सकता है, जबकि इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को सीधा फायदा होगा. इन देशों पर आयात टैक्स की दर भारत के मुकाबले काफी कम है. उदाहरण के तौर पर, इक्वाडोर से आने वाले उत्पादों पर अमेरिका में सिर्फ 10 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि इंडोनेशिया को 19 फीसदी और वियतनाम को 20 फीसदी शुल्क देना होता है. खास बात यह है कि इक्वाडोर की भौगोलिक स्थिति अमेरिका के करीब है, जिससे उसे रणनीतिक तौर पर और भी बड़ी बढ़त मिल जाती है. ऐसे में भारत के मुकाबले इन देशों के लिए अमेरिकी बाजार में टिके रहना आसान हो सकता है.

यह टैरिफ क्यों लगाया गया?

अमेरिका ने भारत पर कुछ ऐसे कदम उठाने के आरोप लगाए हैं, जो दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा कर सकते हैं. अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से सैन्य उपकरणों की खरीद जारी रखे हुए है और व्यापार में ‘अवांछनीय नीतियां’ अपना रहा है, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ हैं. इसी वजह से ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 25 फीसदी का टैरिफ और पेनल्टी लगाने का निर्णय लिया है. इस फैसले से दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों में खटास आने की आशंका जताई जा रही है.

नीति विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री डॉ. अशोक गुलाटी ने अमेरिका के 25 फीसदी टैरिफ को “दंडात्मक और व्यापार-विरोधी” करार दिया है. उनका कहना है, “हमें उम्मीद थी कि टैरिफ 10-15 फीसदी तक सीमित रहेगा, लेकिन 25 फीसदी एक बड़ा झटका है.”

डॉ. गुलाटी का मानना है कि अब भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने की जरूरत है. इसके साथ ही देश को नए व्यापार समझौते करने होंगे और अमेरिका से गंभीर रणनीतिक बातचीत करनी होगी. अगर इन मोर्चों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो इस इंडस्ट्री में दीर्घकालिक आर्थिक संकट की आशंका बनी रहेगी.

किन किसानों पर पड़ेगा असर?

भारत में झींगा पालन एक लघु और मध्यम स्तर के किसानों की आजीविका का बड़ा जरिया है. तटीय गांवों में हजारों परिवार इसी पर निर्भर हैं. अगर अमेरिका के ऑर्डर घटते हैं और रेट गिरते हैं, तो सबसे पहले फार्म गेट प्राइस यानी किसानों को मिलने वाली कीमत गिरेगी. और यही सबसे खतरनाक पहलू है.

क्या होगा असर?

अमेरिका द्वारा भारतीय झींगा (Shrimp) उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव गहराई तक फैलेगा. संभावित असर कुछ इस प्रकार हो सकता है:

झींगा निर्यात को झटका लगेगा: अमेरिका भारत के झींगा निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है. टैरिफ बढ़ने से वहां के खरीदार ऑर्डर कम कर सकते हैं या अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं.

वैश्विक प्रतिस्पर्धा घटेगी: महंगे दामों के चलते भारतीय उत्पाद दुनिया के अन्य सस्ते विकल्पों (जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया या इक्वाडोर) से मुकाबला नहीं कर पाएंगे. इससे भारत की बाजार हिस्सेदारी घट सकती है.

स्थानीय बाजार में कीमतें गिरेंगी: अगर निर्यात घटा, तो अधिक मात्रा में झींगा घरेलू बाजार में आएगा. इससे दाम गिरेंगे और किसानों को घाटा होगा.

रोजगार पर असर: समुद्री उत्पाद उद्योग खासकर झींगा उत्पादन में लाखों लोग जुड़े हैं-किसान, श्रमिक, प्रोसेसिंग यूनिट्स के कर्मचारी. ऑर्डर कम होने से इन क्षेत्रों में नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं, खासकर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और गुजरात जैसे तटीय राज्यों में.

इस टैरिफ का असर लंबे समय तक रह सकता है अगर भारत समय पर रणनीतिक कदम नहीं उठाता.