आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर जागरूक हो गए हैं और वे ऑर्गेनिक फूड को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसलिए कई किसान भी अपनी खेती को ऑर्गेनिक तरीके से करने की सोच रहे हैं. लेकिन अगर कोई किसान अपनी फसल को ऑर्गेनिक के तौर पर बेचना चाहता है, तो उसे ऑर्गेनिक प्रमाणन (Organic Certification) की प्रक्रिया को समझना जरूरी है. तो चलिए जानते हैं ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट पाने के आसान तरीके के बारे में बताएंगे.
ऑर्गेनिक मानकों का पालन करें
ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट पाने के लिए सबसे पहले किसान को यह सुनिश्चित करना होता है कि उसकी खेती देश के तय किए गए ऑर्गेनिक मानकों के अनुसार हो. इसमें किसान को सिंथेटिक कीटनाशक, रासायनिक उर्वरक और जीएम बीजों का इस्तेमाल नहीं करना होता. इसके बदले किसान प्राकृतिक खाद, कीटों को नियंत्रित करने के प्राकृतिक तरीके और फसल चक्र का इस्तेमाल करते हैं.
आवेदन और दस्तावेजीकरण
ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट के लिए किसान को एक आवेदन फॉर्म भरना पड़ता है, जो उसे सर्टिफिकेट एजेंसी से मिलेगा. इस फॉर्म में किसान को अपनी खेती की जानकारी देनी होती है, जैसे कि खेती का इतिहास, किस तरह की फसलें लगाई जाती हैं, और कितने समय से किस चीज का उपयोग किया जा रहा है. ये दस्तावेज सर्टिफिकेट एजेंसी को यह साबित करते हैं कि किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रहा है.
निरीक्षण (Inspection)
सर्टिफिकेट एजेंसी का एक निरीक्षक किसान के खेत पर आकर निरीक्षण करता है. वह देखता है कि खेत में ऑर्गेनिक तरीके से खेती हो रही है या नहीं. निरीक्षक खेत, गोदाम, और रिकॉर्ड की जाँच करता है ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि सभी नियम सही से पालन किए जा रहे हैं.
संक्रमण अवधि (Transition Period)
अगर किसान पारंपरिक खेती से ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ना चाहता है, तो उसे एक संक्रमण अवधि से गुजरना होता है. यह अवधि आमतौर पर तीन साल की होती है. इस दौरान किसान को ऑर्गेनिक तरीके से खेती करनी होती है, लेकिन वह अपनी फसल को पूरी तरह से ऑर्गेनिक नहीं कह सकता. तीन साल बाद वह ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकता है.
रिकॉर्ड रखना
ऑर्गेनिक प्रमाणन के दौरान सभी चीजों का सही रिकॉर्ड रखना बहुत जरूरी होता है. किसान को हर चीज का रिकार्ड रखना होता है, जैसे कि बीज कहां से आए, कौन-कौन से उर्वरक इस्तेमाल किए, और किस प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग हुआ. ये रिकॉर्ड प्रमाणन एजेंसी को यह दिखाते हैं कि किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रहा है.
प्रमाणन का निर्णय
जब सर्टिफिकेट एजेंसी पूरी जांच कर लेती है, तो वह यह तय करती है कि किसान ने सभी ऑर्गेनिक नियमों का पालन किया है या नहीं. अगर सब कुछ सही पाया जाता है, तो किसान को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट मिल जाता है. इसके बाद वह अपनी फसल को ऑर्गेनिक के रूप में बेच सकता है. यह सर्टिफिकेट एक तय समय तक वैध रहता है, और हर साल जांच के बाद इसे फिर से नवीनीकरण करना पड़ता है.
इस तरह से किसान ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं और अपनी फसल को बिना किसी चिंता के ऑर्गेनिक के रूप में बेच सकते हैं. ऑर्गेनिक खेती से न सिर्फ किसान को अच्छा लाभ होता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.