बंजर जमीन को हरियाली से भर रहा पीवैट रेन सिस्टम, खेती को फायदा दे रही तकनीक

पीवैट रेन सिस्टम एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है जो कृत्रिम बारिश के माध्यम से सूखी जमीन पर भी फसलें उगाने में मदद करती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 24 May, 2025 | 09:00 AM

राजस्थान जैसी जगहों पर, जहां बारिश कम और जमीन रेतीली होती है, वहां खेती करना हमेशा से एक चुनौती भरा काम रहा है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. सरदारगढ़ और जैतसर स्थित केंद्रीय फार्मों में खेती की एक ऐसी तकनीक अपनाई गई है, जो सूखी जमीन पर भी फसलों की हरियाली लाई जा सकती है. इस तकनीक का नाम पीवैट रेन सिस्टम’ है. इसकी मदद से कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है, जिससे बारानी (बिना सिंचाई वाली) जमीन पर भी गेहूं, जौ, मूंग, चना और जई जैसी अन्य फसलें उगाई जा सकती है.

कैसे काम करता है पीवैट रेन सिस्टम

पीवैट रेन सिस्टम एक तरह का आधुनिक सिंचाई उपकरण है, जो घूमते हुए खेत में बारिश जैसी पानी की बौछार करता है. इस तकनीक के जरिए किसान सुविधानुसार खेत में पानी दे सकते हैं. इस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत बड़ी जमीन को बहुत कम समय में समान रूप से सिंचित कर सकता है.

1200 हेक्टेयर भूमि पर फसलें तैयार

पीवैट रेन सिस्टम के जरिए केंद्रीय राज्य फार्म सरदारगढ़ और जैतसर में अब तक 1200 हेक्टेयर से ज़्यादा जमीन पर फसलें उगाई जा चुकी हैं. इस सिस्टम से पहले अच्छी मात्रा में पानी डालकर बिजाई करवाई जाती है और फिर 15 दिन बाद 8 एमएम की कृत्रिम बारिश करके फसलों को बढ़ने में मदद दी जाती है. इस तकनीक के जरिए जरूरत के अनुसार पानी की मात्रा को भी नियंत्रित किया जा सकता है. यानी जितनी जरूरत हो, उतनी ‘पानी ’ इसका मतलब है कि फसलों को उनके विकास के हर चरण में सही मात्रा में पानी मिल पाता है.

पीवैट रेन सिस्टम से 75 हेक्टेयर तक आसानी से सिंचाई की जा सकती है, जिससे खेतों को समय पर और पर्याप्त पानी मिल पाता है. वहीं, एक पीवैट रेन सिस्टम की लागत लगभग 60 लाख रुपये तक आती है. इसके संचालन के लिए एक बड़ा स्टोरेज टैंक भी जरूरी होता है, जिससे पानी लिया जाता है.

कृषि क्षेत्र में तकनीक का बढ़ता उपयोग

पीवैट रेन सिस्टम यह साबित करता है कि अगर आधुनिक तकनीकों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो बंजर जमीनों को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है. इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि किसानों को कम पानी में अधिक फायदा भी मिल रहा है.

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Published: 24 May, 2025 | 09:00 AM

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