जहां एक ओर झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस मॉनसूनी सीजन में अच्छी बारिश हुई, वहीं बिहार के कई जिलों में किसानों को भरपूर बारिश का इंतजार है. क्योंकि 1 जून से 9 जुलाई के बीच औसत से बहुत कम बारिश हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग, मुताबिक इस साल 9 जुलाई तक बिहार में 50 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है. यानी इस समय तक 263.2 मिमी सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन राज्य में केवल 130.9 मिमी बरसात हुई है. ऐसे में लगातार तीसरे साल कमजोर मॉनसून के कारण धान की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है.
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के 38 में से 20 जिलों में सामान्य से आधी से भी कम बारिश हुई है, जबकि 12 जिलों में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है. मुजफ्फरपुर, सहरसा और सीतामढ़ी जैसे जिलों में बारिश की कमी 80 फीसदी के करीब पहुंच गई है. वहीं, गोपालगंज जिले में 70 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मॉनसून की कमजोर बारिश की वजह से सूखे जैसे हालात बनने का खतरा है, जिससे किसानों को धान की खेती को लेकर गंभीर चिंता सता रही है. खास बात यह है कि बिहार के सूखा प्रभावित माने जाने वाले गया, औरंगाबाद और नवादा जिले में अब तक सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है.
15 फीसदी तक घट सकता है धान उत्पादन
6 जुलाई 2025 तक प्रदेश में करीब 1.20 लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है, जबकि इस साल राज्य सरकार का 37.45 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है. इस वजह से इस साल राज्य में धान का उत्पादन करीब 15 फीसदी तक घट सकता है. वहीं अगर 2022 की बात करें, तो 15 अगस्त 2022 तक कुल लक्ष्य का 78.28 फीसदी धान की रोपाई हो चुकी थी. यानी 35.12 लाख हेक्टेयरमें से 27.48 लाख हेक्टेयर में धान रोपा गया था. कहा जा रहा है कि बारिश की कमी के चलते राज्य भर में कई बड़े खेत अब भी सूखे पड़े हैं.
आने वाले दिनों में थोड़ी बारिश की संभावना
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बारिश देर से होती है और धान की रोपाई में देरी होती है, तो उत्पादन और पैदावार पर सीधा असर पड़ता है. आईएमडी पटना के अधिकारियों के मुताबिक, फिलहाल बिहार में मॉनसून कमजोर है. हालांकि आने वाले दिनों में थोड़ी बारिश की संभावना है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कोई मजबूत मॉनसून सिस्टम नहीं बनता, तब तक बारिश की कमी में बड़ा बदलाव मुश्किल है. वहीं, बारिश की कमी के चलते किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. उन्हें डर है कि अगर जुलाई में भी बारिश नहीं हुई, तो सूखे जैसे हालात बन जाएंगे और फसल बर्बाद हो सकती है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा.