कहां हुई कितनी बारिश? मौसम विभाग कैसे मापता है हर बूंद, जानिए इस तकनीक का राज

दरअसल खेती के लिए ये जानना जरूरी होता है कि मिट्टी में कितनी नमी है. सरकार को सूखा या बाढ़ जैसे हालातों का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है. शहरों में ड्रेनेज प्लानिंग और जल संचयन की योजनाएं इसी डेटा पर निर्भर होती हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 6 Jul, 2025 | 12:39 PM

मानसून आते ही आम लोगों की नजरें नजरें मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर टिक जाती हैं. हर कोई जानना चाहता है कि आज कितनी बारिश हुई? कल होगी या नहीं? लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आंकड़े आते कहां से हैं? दिल्ली में 150 मिमी या गुजरात में सामान्य से कम बारिश, ये सब IMD यानी भारत मौसम विज्ञान विभाग कैसे तय करता है? आइए आसान शब्दों में समझते हैं कि मौसम विभाग बारिश की कैलकुलेशन कैसे करता है?

बारिश को मापने का तारीका

सबसे पहले जान लें कि बारिश को मिलीमीटर (mm) में मापा जाता है. इसका मतलब है कि अगर आप एक समतल जमीन पर कोई कंटेनर रखें और 20 मिमी बारिश हो, तो उसमें 2 सेंटीमीटर तक पानी बिना बहे इकट्ठा हो जाएगा.

बारिश मापने का सबसे खास यंत्र

भारत का मौसम विभाग बारिश नापने के लिए रेनगेज (Rain Gauge) नाम की एक खास डिवाइस का इस्तेमाल करता है. यह बेलनाकार कंटेनर जैसा दिखता है जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होता है. उसके अंदर एक खास पैमाना लगा होता है जो बताता है कि कितनी मिलीमीटर बारिश हुई.

देशभर में फैला मौसम विभाग का रेनगेज नेटवर्क

भारत में मौसम विभाग के पास हजारों रेनगेज स्टेशन हैं, जो देश के हर राज्य और हर बड़े शहर में फैले हैं. ये स्टेशन दिन-रात बारिश का डेटा रिकॉर्ड करते हैं. इसके अलावा IMD सेटेलाइट, डॉप्लर रडार और कम्प्यूटर आधारित मौसम मॉडल्स की मदद से भी बारिश का अनुमान लगाता है.

बारिश की रिपोर्ट कहां देख सकते हैं?

मौसम विभाग हर दिन Daily Rainfall Report, Weekly Monsoon Summary और Seasonal Forecast जैसी रिपोर्ट जारी करता है. ये रिपोर्ट IMD की आधिकारिक वेबसाइट, मोबाइल ऐप और न्यूज चैनलों के ज़रिए आम जनता तक पहुंचती है.

बारिश का रिकॉर्ड रखना क्यों जरूरी?

दरअसल खेती के लिए ये जानना जरूरी होता है कि मिट्टी में कितनी नमी है. सरकार को सूखा या बाढ़ जैसे हालातों का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है. शहरों में ड्रेनेज प्लानिंग और जल संचयन की योजनाएं इसी डेटा पर निर्भर होती हैं.

आम जनता का फायदा

अगर आप किसान हैं, या बारिश पर आधारित कोई योजना बना रहे हैं, तो मौसम विभाग का मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं. वहां आपको अपने इलाके की बारिश, आंधी-तूफान, तापमान और मानसून अपडेट की जानकारी मिलती रहती है.

2025 के मानसून में कहां कितनी बारिश हुई अब तक?

मुंबई: जून से जुलाई की शुरुआत तक अब तक लगभग 1200 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से थोड़ी ज्यादा है.

दिल्ली: राजधानी में मानसून की रफ्तार अभी सामान्य है, अब तक लगभग 200 मिमी बारिश दर्ज की गई है.

कोलकाता: जून में बारिश थोड़ी कम रही, लेकिन जुलाई में जोर पकड़ रही है—अब तक 500 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है.

बेंगलुरु: यहां अब तक लगभग 180 मिमी बारिश हुई है, जो औसत से थोड़ी कम मानी जा रही है.

पुणे और नासिक जैसे शहरों में जुलाई के पहले सप्ताह में ही 300-400 मिमी बारिश दर्ज की गई है.

Published: 6 Jul, 2025 | 12:22 PM