‘नारी तुम हो एक शक्ति, हर मुश्किल का हल तुम हो, सफलता के पथ पर अग्रसर, हर मंजिल पर तुम हो’– इस कहावत को हकीकत में बदलने का काम किया है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में रहने वाली एक महिला ने, जिसको कभी एक जून की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था, वो आज एक सफल कपड़ा कारोबारी बन चुकी है. हमारी आज की ‘चैंपियन किसान’ सीरीज में हम बात कर रहे हैं जनजातीय वर्ग से आने वाली महिला जयपाली मरकाम की, जिन्होंने अपने हौसले और मेहनत से ये साबित कर दिया कि अगर जीवन में सच्ची इमानदारी से कोई भी काम किया जाए तो सफलता एक दिन जरूर आपके कदम चूमेगी. कभी खाली पेट सोने वाली जयपाली आज खुद के पैरों पर खड़ी होकर न केवल खुद आर्थिक रूप से मजबूत हैं बल्कि उन्होंने अपने घर की अर्थव्यवस्था ही पूरी तरह से बदल दी है.
पति के साथ करती थीं मजदूरी
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की धूसावानी ग्राम पंचायत के मोयापानी गांव की रहने वाली जयपाली मरकाम अपने पति के साथ मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही थीं. कभी-कभी ऐसा भी होता था कि उनके पास खाने के पैसे नहीं होते थे और उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था. जीवन के बेहद मुश्किल वक्त से गुजरी जयपाली ने कभी हार नहीं मानी. उनका जीवन हमेशा कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन गरीबी और संघर्ष ने उनके हौसले को कभी टूटने नहीं दिया. इसी हौसले के साथ आगे बढ़ते हुए जयपाली ने कपड़े का व्यापार शुरू किया और आज उसी कपड़े के व्यापार से उनके घर की अर्थव्यवस्था ही पूरी तरह बदल गई है.
जयपाली ने न केवल खुद को मजबूत किया बल्कि अपने पति की दो बहनों को भी प्राइवेट नौकरी लगवाकर सशक्त किया है. बता दें कि, जयपाली के सास-ससुर भी उनके साथ रहते हैं और उनके कपड़े के व्यापार से ही हो उनके इस संयुक्त परिवार का गुजर-बसर हो रहा है. कभी एक निवाले को तरसने वाली जयपाली आज हर महीने 15 हजार रुपये से ज्यादा की कमाई कर रही हैं.
सरकारी मदद से शुरू किया व्यापार
मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार,जयपाली मरकाम जनजातीय वर्ग से हैं. उनके मन में अपने सपनों को हकीकत में बदलने की इच्छा और अपने परिवार को बेहतर जीवन देने की चाह हमेशा से थी. जिसके चलते उन्होंने खुद को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा.वे गांव के “मां नैना आजीविका स्व-सहायता समूह” की सदस्य बन गईं.समूह की बचत से उन्हें पहली बार उन्हें 10 हजार रुपये का लोन मिला जिससे उन्होंने किराना दुकान खोली.
दूसरी बार 1 लायक रुपये लोन से उन्होंने जनरल स्टोर खोला और तीसरी बार 3 लाख रुपये के लोन में अपनी जमा-पूंजी मिलाकर उन्होंने कपड़े की दुकाव खोली. हालांकि, जयपाली बताती हैं कि व्यापार का अनुभव न होने के कारण शुरुआत में उन्हें समस्या आई लेकिन वे पूरी लगन से आगे बढ़ती रहीं.आज अपनी मेहनत और समझदारी से जयपाली हर महीने 15 हजार रुपये कमा रही है.
हाट बाजारों में लगाती हैं दुकान
अपने कपड़े के व्यापार को बढ़ाने के लिए जयपाली अपने पति के साथ अपने इलाके की सभी हाट बाजारों में अपनी चलित कपड़ा दुकान लगाती हैं. जिसके लिए उन्होंने एक ऑटो भी खरीद लिया है. ऑटो चलाने के लिये एक ड्राईवर भी रख लिया है. जयपाली और उनके पति हाट बाजारों में दुकान लगाने जाते हैं. काम के सिलसिले में इधर-उधर जाने के कारण जयपाली ने अपनी दुकान में 200 रूपये रोजनदारी पर एक व्यक्ति को रखकर उसे भी रोजगार दिया है.
अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा
अपनी कमाई से आज जयपाली अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रही हैं. उनके बच्चे अब सरकारी प्री-मेट्रिक होस्टल में रहकर पढ़ रहे हैं. इतना ही नहीं, जयपाली ने अपनी दुकान में एक व्यक्ति को रोजगार दे दिया है, जो व्यापार चलाने में उसकी मदद भी करता है.जयपाली की सफलता का राज उनकी कभी न टूटने वाली उम्मीद और कड़ी मेहनत में छिपा है. आज वह एक सफल कपड़ा व्यापारी के रूप में जानी जाती हैं और अपने आसपास की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन कर उभरी हैं.