NSC Seeds Plants: कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले दिनों विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें नकली और घटिया बीज के संबंध में आई थी, ऐसे में गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होना जरूरी है. इसमें NSC की भूमिका काफी अहम है.
धान कटाई के बाद किसान गेहूं और सरसों की बुवाई में जुटे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नत किस्में जैसे DBW 303 और पूसा मस्टर्ड 32 अपनाने से 20–25 फीसदी तक उत्पादन बढ़ सकता है. लाइन सोइंग, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और पराली प्रबंधन जैसी तकनीकें अपनाकर किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
धान कटाई के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई में जुटे हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं के साथ चना की खेती से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. बीज उपचार, राइजोबियम कल्चर, फफूंदनाशी दवाओं और समेकित कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक अपनाकर किसान बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
पारंपरिक सिंचाई में पानी की बर्बादी होती है, जिससे न केवल किसान की लागत बढ़ती है बल्कि भूजल स्तर भी नीचे चला जाता है. इसीलिए विज्ञान और तकनीक की मदद से ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम (Automated Irrigation System) का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प बन गया है. इससे खेती में पानी खपत को नियंत्रित किया जाता है और फसल को जरूरी नमी दी जाती है.
पारंपरिक खेती में अक्सर एक ही फसल उगाई जाती है, जिससे जमीन का पूरा उपयोग नहीं हो पाता और फसलों के बीच खाली जगह बेकार चली जाती है. इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है मल्टी लेयर फार्मिंग यानी बहु-स्तरीय खेती.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह अभियान प्रदेशव्यापी मिशन मोड में चलाया जा रहा है. राज्य स्तर पर अब तक लगभग 54 फीसदी किसानों की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है. सभी जिलाधिकारियों, कृषि अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक गांव के किसान का रजिस्ट्रेशन कराएं.