पारंपरिक खेती में अक्सर एक ही फसल उगाई जाती है, जिससे जमीन का पूरा उपयोग नहीं हो पाता और फसलों के बीच खाली जगह बेकार चली जाती है. इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है मल्टी लेयर फार्मिंग यानी बहु-स्तरीय खेती.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह अभियान प्रदेशव्यापी मिशन मोड में चलाया जा रहा है. राज्य स्तर पर अब तक लगभग 54 फीसदी किसानों की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है. सभी जिलाधिकारियों, कृषि अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक गांव के किसान का रजिस्ट्रेशन कराएं.
कोरबा के किसान रामरतन निकुंज ने वर्मी ग्रिड पद्धति अपनाकर हाईब्रिड धान में रिकॉर्ड पैदावार दी. उनकी मेहनत और नई तकनीक ने पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए प्रेरणा पैदा की. वैज्ञानिक खेती और सरकारी सहयोग से खेती में भी लाभ देखने को मिला.
भारत में सालाना लगभग 50 करोड़ टन पराली पैदा होती है. इनमें से लगभग 14 करोड़ टन पराली का कोई उपयोग नहीं होता. पराली प्रबंधन की दिशा में अब पराली से क्लीन एनर्जी बनाई जा रही है और इसके लिए किसानों से उनकी फसलों के अवषेश जलाने की बजाय खरीदे जा रहे हैं.
खरीफ की कटाई के साथ रबी फसलों की बुवाई शुरू हो रही है. कृषि विशेषज्ञ किसानों को फसल चक्र अपनाने, मिट्टी जांच कराने और सिंचाई सुविधा के अनुसार फसल चयन की सलाह दे रहे हैं, जिससे उत्पादन बढ़ेगा, लागत घटेगी और मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी.
Agri Machines on Discount: राज्य सरकार के कृषि विभाग की ओर से कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत यह लाभ दिया जा रहा है. इस योजना में किसान थ्रेसर, हैप्पी सीडर, कल्टीवेटर, ट्रैक्टर, हैरो और अन्य कई कृषि उपकरणों को रियायती दरों पर खरीद सकते हैं.