मक्का बुवाई के लिए अपनाएं रेज्ड बेड प्लाटिंग विधि, 40 फीसदी बचेगा सिंचाई का खर्च

मक्का की बुवाई में रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि इस्तेमाल करने के फायदों की बात करें तो इस विधि की मदद से किसानों को सबसे बड़ा फायदा होता है, वो ये कि इसमें 30 से 40 फीसदी पानी की बचत होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 16 Jul, 2025 | 09:00 AM

बारिश का मौसम शुरू होते ही किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी है. खरीफ सीजन की ऐसी ही एक फसल है मक्का की फसल जिसकी खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है. खरीफ सीजन में मक्का की खेती करने का फायदा यह होता है कि इसमें सिंचाई की जरूरत नहीं होती क्योंकि बारिश के पानी से ही खेत को पर्याप्त नमी मिल जाती है. ऐसे में किसानों को सबसे बड़ा फायदा होता है कि उन्हें सिंचाई के लिए बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. खरीफ सीजन में पानी की बचत करते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस विधि की मदद से किसानों की लागत में भी कमी आती है.

क्या है रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि

रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि एक आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक है जिसकी मदद से मक्का की बुवाई करने पर किसानों की लागत कम होने के साथ ही पैदावार बढ़ती है और क्वालिटी भी बेहतर होती है. इस विधि में खेत में ऊंची-नीची क्यारियां बनाई जाती हैं. इसके बाद इन क्यारियों में बीजों को बोया जाता है और क्यारियों में बनाई गई नालियों से पानी दिया जाता है. ऐसा करने से पानी की भी बचत होती है.

ऐसे तैयार करें रेज्ड बेड

रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि से मक्का की बुवाई करने के लिए प्रति हेक्टेयर खेत में 18 से 20 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसके बाद खेत में 67 से 75 सेमी यानी 2 से 2.5 फीट की चौड़ाई के बेड तैयार करें. साथ ही 30 से 40 सेमी चौड़ाई की नालियां बनाएं. इसके बाद बनाए गए बेड या क्यारियों में बीज बोएं. बीज बोते समय ध्यान रहे कि उनके बीच की दूरी 20 से 25 सेमी हो और कतार से कतार की दूरी 60 से 75 सेमी हो. ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.

इस विधि से बुवाई के फायदे

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मक्का की बुवाई में रेज्ड बेड प्लांटिंग विधि इस्तेमाल करने के फायदों की बात करें तो इस विधि की मदद से किसानों को सबसे बड़ा फायदा होता है वो ये कि इसमें 30 से 40 फीसदी पानी की बचत होती है. साथ ही ऊंचाई पर बुवाई होने के कारण खेत में पानी नहीं भरता है और पौधे जल्दी बढ़ते हैं. खेत में नालियां बनाने के कारण जलभराव नहीं होता जिससे जड़ सड़न और फफूंद जैसी समस्या कम होती है. इस विधि में किसान आसानी से ट्रैक्टर चला सकते हैं जिससे खरपतवारों को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

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Published: 16 Jul, 2025 | 09:00 AM

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