देश में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के सम्मान में भारत सरकार ने एक खास पहल की है. उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर सरकार ने 100 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी करने की घोषणा की है. यह सिक्का केवल एक मुद्रा नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की उम्मीद और भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान का प्रतीक है.
कौन थे डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन?
डॉ. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का नायक माना जाता है. उनके शोध और प्रयासों की वजह से भारत 1960 के दशक में भुखमरी से उबर सका और खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना. उन्होंने गेहूं और चावल की उन्नत किस्मों को बढ़ावा देकर किसानों की पैदावार कई गुना बढ़ाई. 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, जो कि देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है.
कैसा होगा यह 100 रुपये का स्मारक सिक्का?
वित्त मंत्रालय ने 11 जुलाई 2025 को गजट अधिसूचना के जरिए यह जानकारी साझा की. यह सिक्का भारत सरकार के कोलकाता टकसाल (India Government Mint, Kolkata) में ढाला जाएगा.
धातु संरचना (Composition):
- 50 फीसदी चांदी
- 40 फीसदी तांबा
- 5 फीसदी निकल
- 5 फीसदी जिंक
- वजन: 35 ग्राम
- व्यास (Diameter): 44 मिलीमीटर
- किनारे (Edge): 200 दांतदार किनारे
सिक्के पर क्या-क्या छपा होगा?
इस विशेष 100 रुपये के सिक्के की आगे की तरफ (Obverse) केंद्र में अशोक स्तंभ का सिंहचतुर्मुख अंकित होगा, जो भारत की आधिकारिक मुहर का प्रतीक है. इसके ठीक नीचे “सत्यमेव जयते” लिखा होगा. सिक्के के बाईं ओर “भारत” (हिंदी में) और दाईं ओर “INDIA” (अंग्रेजी में) अंकित रहेगा. नीचे की ओर “₹100” की राशि दर्शाई जाएगी, जो इसकी मूल्यवर्ग को बताती है.
सिक्के की पीछे की तरफ (Reverse) केंद्र में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की तस्वीर उकेरी जाएगी. उनके चित्र के बाईं ओर वर्ष 1925 और दाईं ओर 2025 अंकित होगा, जो उनके जन्म से लेकर जन्मशताब्दी वर्ष तक की यात्रा को दर्शाता है. ऊपर की ओर “प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी” (देवनागरी लिपि में) और नीचे की ओर “Birth Centenary of Prof. M. S. Swaminathan” (अंग्रेजी में) लिखा जाएगा. यह सिक्का उनके योगदान को स्थायी स्मृति में बदलने का एक ऐतिहासिक प्रयास है.
भूखमुक्त भारत की दिशा में कदम
इस सिक्के का मकसद सिर्फ डॉ. स्वामीनाथन को सम्मान देना नहीं है, बल्कि उनके उस सपने को जीवित रखना है जिसमें वे भारत को भूखमुक्त और खाद्य-सुरक्षित देश बनते देखना चाहते थे. उनका जीवन हर किसान के लिए प्रेरणा है और यह सिक्का भावी पीढ़ियों को यह याद दिलाता रहेगा कि कैसे एक वैज्ञानिक की सोच ने करोड़ों की किस्मत बदल दी.