Paddy cultivation: तमिलनाडु में कम अवधि वाली धान की एक नई किस्म ADT-59 इन दिनों कावेरी डेल्टा के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. क्योंकि इसके अंदर खारे पानी को सहन करने की क्षमता अधिक है और कम लागत में अच्छी पैदावार देती है. हालांकि, इसके दाने मोटे होते हैं. इसके बावजूद ADT-59 किस्म अपनी खूबियों के चलते कावेरी डेल्टा के किसानों के बीच पहली पसंद बन गई है. साथ ही पैदावार भी 40 क्विंटल प्रति एकड़ है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस किस्म को तमिलनाडु राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (TRRI), अधुथुरई ने विकसित किया है. अब इसे पारंपरिक किस्मों जैसे ADT-37 और ASD-16 के बेहतर विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. TRRI के निदेशक के सुब्रह्मणियन ने कहा कि ADT-59 की उपज पारंपरिक किस्मों की तुलना में 15-20 फीसदी ज्यादा है. जहां डेल्टा क्षेत्र में सामान्यत एक एकड़ में लगभग 2,500 किलोग्राम धान का उत्पादन होता है, वहीं विरुद्धाचलम के मल्लापलायम गांव के एक किसान ने कुरुवई मौसम में ADT- 59 से 40 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज ली.
इडली के लिए ज्यादा उपयुक्त
सुब्रह्मणियन ने कहा कि ADT- 59 के दाने छोटे और मोटे होते हैं, जो इडली और डोसा बनाने के लिए खासतौर पर पसंद किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि इसमें चावल और उड़द दाल का अनुपात 6:1 होता है, जिससे घोल नरम और मजबूत बनता है. कम अनाज में भी ज्यादा घोल तैयार हो जाता है. उनका कहना है कि डेल्टा क्षेत्र के किसान अब तक आमतौर पर TPS- 5 जैसी पुरानी किस्मों पर निर्भर थे, जो इस इलाके के बाहर विकसित की गई थीं. इन किस्मों में कीट और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है. लेकिन ADT-59 इन समस्याओं का समाधान करता है.
50 फीसदी कम खाद में तैयार हो जाएगी फसल
TRRI के अधिकारियों के मुताबिक, यह किस्म स्टेम बोरर (तना छेदक कीट), ब्लास्ट रोग और ब्राउन लीफ स्पॉट जैसी समस्याओं के प्रति ज्यादा सहनशील है. सुब्रह्मणियन ने कहा कि ADT- 59 को पारंपरिक धान की किस्मों की तुलना में सिर्फ 50 फीसदी खाद की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि यह कुरुवई मौसम के लिए तैयार की गई सबसे अधिक उपज देने वाली मोटे दाने वाली किस्मों में से एक है. यह किफायती है, पौष्टिक है, खेत में गिरती नहीं और डेल्टा की मिट्टी के लिए एकदम उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि यह किस्म पिछले साल आधिकारिक रूप से जारी की गई थी और अब किसान तेजी से इसे अपना रहे हैं.
110 से 115 दिनों में पक जाती है फसल
क्योंकि सरकारी खरीद केंद्र (DPCs) आमतौर पर मोटे दाने वाली किस्में पसंद करते हैं, इसलिए ADT-59 किसानों को ज्यादा दाम दिलाने में मददगार साबित हो रही है. टीआरआरआई की सहायक प्रोफेसर आर. पुष्पा, जो अनाज की गुणवत्ता पर शोध करती हैं, उन्होंने कहा कि ADT- 59 को कई चरणों के परीक्षण के बाद 2024 में जारी किया गया. यह किस्म 110 से 115 दिनों में पक जाती है. इसलिए कुरुवई, नवऱई और गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि यह खारे पानी और सीधे बोवाई (direct sowing) में भी अच्छा प्रदर्शन करती है. इसकी उपज पुरानी किस्मों से ज्यादा है.