MNC की नौकरी छोड़ चुनी खेती की राह, शुरू किया खुद का ऑर्गेनिक प्रोडक्ट स्टोर

अपने सफर की शुरुआत में मणिकंता और पावनी के सामने कई चुनौतियां थीं जिनमें सबसे बड़ी चुनौती थी किसानों का भरोसा जीतकर उन्हें अपने साथ जोड़ना. ऐसा इसलिए था क्योंकि किसानों को पारंपरिक तरह से उत्पाद बेचने के आदि थे.

नोएडा | Updated On: 7 Jul, 2025 | 10:26 PM

एक समय था जब सफल करियर का मतलब बड़ी कंपनियों की चमकदार ऑफिसों में काम करना माना जाता था. लेकिन आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से आने वाले कोटिनागा मणिकंता और नागा वेंकट दुर्गा पावनी ने इस पारंपरिक सोच को चुनौती दी. दोनों बीटेक की पढ़ाई के बाद आईटी इंडस्ट्री में अच्छे पदों पर काम कर रहे थे . मणिकंता इंफोसिस में अच्छे पद पर थे और पावनी एक्सेंचर में. लेकिन एक दिन दोनों ने कॉरपोरेट करियर को अलविदा कहकर खेती और समाज सेवा करने का फैसला लिया. आज दोनों अपनी सोच और मेहनत से केमिकल फ्री ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बनाकर गांव के किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम दिलवाते हैं. दोनों ने साथ मिलकर ‘श्रेष्ठे’, एक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट स्टोर की शुरुआत की.

‘श्रेष्ठे’- ऑर्गेनिक प्रोडक्ट स्टोर

बेटर इंडिया से बात करते हुए मणिकंता ने बताया कि उन्होंने देखा कि आईटी सेक्टर में अच्छी सैलरी मिलने के बाद भी लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और तनाव की शिकायत से जूझ रहे हैं. उनकी इस बात पर पावनी ने भी सहमति जताई. दोनों की इस सोच ने उन्हें ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों का स्वास्थ्य सुधरे और समाज को भी फायदा हो, औस इसी सोच के साथ जन्म हुआ ‘श्रेष्ठे’ का. बता दें कि ‘श्रेष्ठे’- एक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट स्टोर है, जिसको केमिकल फ्री उत्पादों को लोगों तक पहुंचाना के उद्देश्य से शुरू किया गया था.

17 लाख के निवेश से की शुरुआत

मणिकंता और पावनी बताते हैं कि साल 2017 में उन्होंने 17 लाख रुपये का निवेश करके ‘श्रेष्ठे’ की शुरुआत की, हालांकि वे बताते हैं कि इस सफर की शुरुआत आसान नहीं थी, खेती में किसी भी तरह का अनुभव नहीं था. उन्होंने बताया कि पूरे हफ्ते वे कंपनी में काम करते थे और वीकेंड्स में चेन्नई से अपने गांव लाचनगुडिपुडी जाकर ट्रेनिंग लेते थे. मणिकंता बताते हैं कि पहले कोई स्टेर नहीं था, वे खुद जाकर किसानों से उत्पाद लेते थे और लोगों के घर-घर जाकर बेचते थे. दोनों ने कुछ ऑर्गेनिक उत्पादों से शुरुआत की थी जिनमें आम, ज्वार का आटा, तुअर दाल, और हेल्थ मिक्स पाउडर शामिल थे.

किसानों को आगे बढ़ाने में की मदद

अपने सफर की शुरुआत में मणिकंता और पावनी के सामने कई चुनौतियां थीं जिनमें सबसे बड़ी चुनौती थी किसानों का भरोसा जीतकर उन्हें अपने साथ जोड़ना. ऐसा इसलिए था क्योंकि किसानों को पारंपरिक तरह से उत्पाद बेचने के आदि थे. मणिकंता बताते हैं कि उन्हें किसानों को समझाना पड़ा कि वे उन्हें उनके उत्पादन के लिए अच्छा बाजार उपलब्ध करा सकते हैं , जहां उन्हें उनके उत्पादों का वो दाम मिलेगा जिसके वे हकदार हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वे केवल ऐसे किसानों से ही उत्पाद लेते हैं जो केमिकल फ्री उत्पादों के मानकों पर खरे उतरते हैं. पावनी बताती हैं कि वे केवल उन्हीं किसानों के साथ काम करते हैं जो नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र और जीवामृत जैसे प्राकृतिक उपायों से खेती करते हैं.

Published: 8 Jul, 2025 | 06:00 AM