छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच बसे गांवों में जब पहली बार ट्रांसफार्मर से बिजली की रोशनी पहुंचाई गई तो गांव के हर चेहरे पर एक नई चमक आ गई. मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 3 करोड़ रुपये की लागत से 17 दुर्गम वनग्रामों में बिजली पहुंचाई गई है. यह योजना न सर्फ रौशनी के लिए बल्कि खेती किसानी के लिए भी नई उम्मीद बनकर आई है.
17 दुर्गम वनग्रामों में पहुंची बिजली
सरकार के इस पहल से 17 दुर्गम वनग्रामों में बिजली पहुंची है, जिसमें कातुलझोरा, कट्टापार, बुकमरका, संबलपुर, गट्टेगहन, आमाकोड़ो, पीटेमेटा, कुंदलकाल और मेटातोडके जैसे गांव शामिल हैं, जो अब तक सिर्फ लालटेन और सौर ऊर्जा पर निर्भर थे. कई गांवों में तो सौर प्लेट चोरी हो चुके थे या खराब हो गए थे, जिससे अंधेरे में रहना ग्रामीणों की मजबूरी बन गई थी.
योजना पर 3 करोड़ रुपये खर्च
मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 3 करोड़ रुपये की लागत से यह बदलाव लाया गया है. 45 किलोमीटर लंबी 11 केवी लाइन, 87 पोल और 17 ट्रांसफार्मर लगाकर इस काम को अंजाम देना किसी मिशन से कम नहीं था. इसके साथ कार्यपालक निदेशक ने बताया की नक्सल प्रभावित क्षेत्र में काम करना, जंगलों से एनओसी लेना और भारी उपकरणों को पहाड़ियों के बीच पहुंचाना काफी मुश्किलों भरा था. मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के संकल्प और तकनीकी टीम के प्रयासों से यह कार्य संभव हो पाया है.
275 घरों को मिला कनेक्शन
इन वनग्रामों के 540 घरों में अब तक अब 275 घरों को बिजली कनेक्शन मिल चुका है और बाकी परिवारों को भी जल्द बिजली मिल जाएगी. इसके साथ ही जब ग्राम टाटेकसा में जब 25 केवीए का ट्रांसफार्मर चालू किया गया, तो गांव में जश्न का माहौल बन गया. कहीं बच्चों ने नाच-गाकर अपनी खुशी जताई, तो कहीं बुजुर्गों ने पटाखे फोड़े. आखिरकार, ये वही पल था, जिसका उन्होंने बरसों से सपना देखा था. बिजली आने से सिर्फ अंधेरा नहीं मिटेगा, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, ग्रामीणों की आजीविका और सुरक्षा की स्थिति भी बेहतर होगी.