महाराष्‍ट्र में सोयाबीन की खरीद में बड़ी धांधली, गायब हो गई 1927 क्विंटल फसल!

1297 क्विंटल सोयाबीन की सरकारी खरीद का झूठा रिकॉर्ड खरीद केंद्र की तरफ से दिखाया गया. एक झूठी किसान उत्‍पादक कंपनी बनाकर इतनी सोयाबीन बेचने की जानकारी दी गई.

Kisan India
Noida | Published: 27 Mar, 2025 | 05:20 PM

महाराष्‍ट्र के अकोला में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पर 1297 क्विंटल सोयाबीन सरकारी खरीद प्रक्रिया से गायब हो गया है. अब पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है. वहीं इस केस ने राज्‍य में सोयाबीन की सरकारी खरीद में हो रही धांधली को भी सामने लाकर रख दिया है. महाराष्‍ट्र में 31 जनवरी तक सोयाबीन की सरकारी खरीद हुई है.

पुलिस ने शुरू की जांच

मराठी वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार 1297 क्विंटल सोयाबीन की सरकारी खरीद का झूठा रिकॉर्ड खरीद केंद्र की तरफ से दिखाया गया. एक झूठी किसान उत्‍पादक कंपनी बनाकर इतनी सोयाबीन बेचने की जानकारी दी गई. पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा अब इस मामले की जांच करेगी. प्रशासन की रवैया भी अब सवालिया घेरे में है. प्रशासन से सवाल किए जा रहे हैं कि उसने इस झूठी खरीद की शिकायत दर्ज कराने में दो महीने का समय क्‍यों लगाया जबकि इसकी जानकारी जनवरी में ही मिल गई थी. बीजेपी के विधायक रणधीर सावरकर ने भी इस मामले को सत्र के दौरान उठाया और एजेंसियों को कठघरे में खड़ा किया.

क्‍या है पूरा मामला

किसान बहुत पहले से सोयाबीन खरीद प्रक्रिया में धांधली की बात कहते आ रहे हैं. लेकिन हर बार एजेंसियों ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया है. सोयाबीन खरीद का एक गंभीर मसला उस समय प्रकाश में आया जब बालापुर तालुका के आंदुरा में खरीद केंद्र से खरीदी गई फसल को गोदाम में जमा नहीं करवाया गया था. इस मामले में भी पुलिस ने केस दर्ज करके आंदुरा एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के डायरेक्‍टर्स के खिलाफ केस दर्ज किया था.

मार्केटिंग डिपार्टमेंट के जरिये इस कंपनी को सोयाबीन खरीद की मंजूरी दी गई थी. खरीद सत्र के दौरान कंपनी ने 19723 क्विंटल सोयाबीन किसानों से खरीदी थी. लेकिन गोदाम में सिर्फ 18426 क्विंटल फसल ही जमा की. 1297 क्विंटल सोयाबीन का गलत रिकॉर्ड पेश किया गया. इस वजह से करीब 70 किसानों को 63,44,924 रुपये का चूना लगा. किसानों ने जिले के मार्केटिंग अफसर को इस बारे में जानकारी भी दी थी जिसे नजरअंदाज कर दिया गया.

किसान भुगतान को लेकर टेंशन में

बताया रहा है कि यह घोटाला 23 जनवरी से 31 जनवरी के बीच हुआ है. वहीं पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में दो महीने का समय लगा दिया. 23 मार्च को केस की शिकायत दर्ज की गई है. किसानों को शक है कि इस पूरे घोटाले को मिलीभगत से अंजाम दिया गया है. किसानों को डर है कि अगर 1297 क्विंटल सोयाबीन सरकारी गोदाम में जमा नहीं कराई गई तो फिर बकाएदारों को भुगतान कैसे किया जाएगा. पुलिस की जांच शुरू हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं है कि नतीजा कब तक निकलेगा.

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