दिल्ली के बुराड़ी इलाके में यमुना नदी के किनारे हजारों मरी हुई मछलियां मिलने से हड़कंप मच गया है. नदी से उठती तेज बदबू ने न सिर्फ स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है, बल्कि किसानों और मछुआरों की रोजी-रोटी पर भी असर डाला है. यमुना में इस तरह मछलियों का मरना सिर्फ एक मामूली घटना नहीं है, ये साफ इशारा करता है कि नदी का पानी अब जानलेवा जहर में बदलता जा रहा है.
बीओडी 42 गुना बढ़ा
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना में BOD (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर जनवरी 2025 में मानक से 42 गुना अधिक पाया गया.यानी यमुना में अब ऑक्सीजन नहीं जहर है
एक साफ नदी में बीओडी 3 mg/l से कम होता है, लेकिन यमुना में ये आंकड़ा खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. इसका मतलब है कि पानी में जीव-जंतु के जीने लायक ऑक्सीजन नहीं बची.
पहले पीते थे यमुना का पानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि 1978 से पहले हम यमुना का पानी आराम से पीते थे, अब छूना भी मुश्किल हो गया है. लोगों का आरोप है कि सोनीपत की इंडस्ट्रीज का केमिकल युक्त पानी जब भी यमुना में छोड़ा जाता है, तब यही हाल होता है. जो लोग इस पानी में उतरते हैं, उन्हें चर्म रोग और खुजली जैसी बीमारियां हो रही हैं.
मछुआरों का संकट
मछुआरों के लिए यह हालात भारी संकट बन चुके हैं. यमुना में लगातार मरी हुई मछलियां मिल रही हैं, जिन्हें ना तो बाजार में कोई खरीदेगा और ना ही इनसे कोई कमाई हो सकती है. इससे मछुआरों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है. कई मछुआरों ने बताया कि जब वे नदी में उतरते हैं तो उन्हें त्वचा पर जलन, तेज खुजली और संक्रमण जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह न सिर्फ उनके आजीविका के लिए खतरा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है.
यमुना को जहरीला बना कौन रहा है?
मीडिया को दिए इंटरव्यू में सेंट्रल वॉटर कमीशन के पूर्व चेयरमैन एके बजाज का कहना है कि यमुना में आने वाला अधिकतर गंदा और जहरीला पानी हरियाणा की ओर से आता है खासकर ड्रेन 6 और ड्रेन 8 के जरिए. उन्होंने कहा कि इस पानी में अमोनिया और अन्य केमिकल मौजूद होते हैं जो मछलियों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं.