बरसात का मौसम जितना सुहाना लगता है, उतनी ही परेशानियां भी लेकर आता है, खासकर पशुपालकों के लिए. लगातार होने वाली बारिश से न सिर्फ इंसान बीमार पड़ते हैं, बल्कि पशुओं पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. खासकर बकरियां इस मौसम में सबसे ज्यादा बीमारियों की चपेट में आती हैं, क्योंकि उनकी रोगों से लड़ने की ताकत (प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर हो जाती है. ऐसे में बकरी पालन करने वाले किसानों को खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बरसात के मौसम में बकरियों को किन बीमारियों का खतरा होता है और उनसे कैसे बचा जा सकता है.
बरसात के मौसम में इन बीमारियों से है बकरियों को खतरा-
निमोनिया (Pneumonia)
इंसानों में होने वाली यह बीमारी बकरियों में भी खूब होती है. बरसात के मौसम में जब पशु ज्यादा भींग जाते हैं तो उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है और वे निमोनिया के शिकार हो जाते हैं. चारा ना खाना, लगातार खांसी आना, सांस लेने में कठिनाई का सामना करना आदि लक्ष्ण बकरियों में निमोनिया का सूचक है.
चेचक( Small pox)
यह एक संक्रामक बीमारी है जो वेरीसेला- जोस्टर वायरस के कारण होती है. बारिश के मौसम में चेचक भी बकरियों के लिए एक खतरनाक बीमारी है. चेचक में बकरी के शरीर पर गोल लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं. कभी-कभी शरीर पर फफोले पड़ कर फूट जाते हैं जिससे गंभीर घाव शरीर पर बन जाता है.
खुरपका- मुंह पका (Foot and Mouth disease)
बारिश के मौसम में पशुओं में यह बीमारी खूब पाया जाता है. इस बीमारी में बकरी के मुंह और खुर में छाले पड़ जाते हैं. मुंह से काफी मात्रा में लार टपकने लगती है. मुंह और खुर में छाले पड़ने की वजह से यह गंभीर घाव बन जाते हैं.
पीपीआर ( Peste des pettis ruminants)
यह एक संक्रामक वायरल बीमारी है. यह बीमारी प्लेग रोग के जैसा है. इस बिमारी के कुछ प्रमुख लक्ष्ण हैं जैसे तेज बुखार आना, मुंह में छाले, आंख और नाक से काफी मात्रा में पानी आना है. पीपीआर को बकरियों में होने वाली महामारी की बीमारी भी कहा जाता है, इसलिए इसे बकरी प्लेग भी कहा जाता है.
पेचिश ( Dysentery)
पेचिश आंत संक्रमण रोग है. पेचिश का कारण आमतौर पर जीवाणु शिगोला होता है. खूनी प्रवाह, उल्टी, दस्त, बकरियों को अधिक प्यास लगना आदि पेचिश के लक्ष्ण हैं.
बचाव के तरीके
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जानकार बताते हैं कि बकरियों को बारिश के मौसम में बीमारियों से बचाने के लिए सबसे पहला और सबसे जरुरी कदम यह है कि पशुपालक पशु चिकित्सालय से संपर्क कर बकरियों का टीकाकरण जरुर करा दें. पशुओं को बीमारी से बचाना है तो उन्हें साफ, स्वादिष्ट, और पोषक तत्वों से भरपूर चारा खिलाएं ताकि पशु हेल्दी व फिट रहे.
विशेषज्ञों की माने तो पशुओं को समय पर टीकाकरण और स्वादिष्ट पोषकयुक्त चारा खिलाने से हीं बीमारी से बचाया जा सकता है.