केंद्र के पास जरूरत से 13 लाख क्विंटल ज्यादा ‘सत्यापित बीज’, फिर भी इन राज्यों में भारी किल्लत

केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 के लिए 1688.8 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है. चावल, दालों, मक्का, पोषक अनाज और तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उचित बीज उपलब्ध हैं, हालांकि कुछ राज्यों में बीज की कमी है. जलवायु-प्रतिरोधी बीजों से उत्पादन बढ़ा है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 10 May, 2025 | 09:28 AM

केंद्र सरकार ने कहा है कि आने वाले खरीफ सीजन के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में अच्छी क्वालिटी वाले बीज उपलब्ध हैं. उसने कहा कि सरकारी गोदामों में कुल 171.47 लाख क्विंटल बीज हैं, जबकि अनुमानित मांग 158.18 लाख क्विंटल है. हालांकि, इस बार सामान्य से बेहतर मॉनसून की उम्मीद है. ऐसे में अच्छी क्वालिटी के बीज की बुवाई करने पर खाद्यान्न उत्पादन की बढ़ोतरी करने में मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि कुछ राज्यों ने बीजों की कमी की बात कही है, जिस पर मेरा पूरा फोकस है. उसने कहा कि राज्यों को भरोसा दिलाया गया है कि राज्यवार जरूरत के हिसाब से बीज दिए जाएंगे, ताकि किसानों को सही समय पर बीज मिल सकें.

सूत्रों के मुताबिक, कुछ राज्यों में बीज की थोड़ी कमी जरूर है, लेकिन अगर ये राज्य अधिक बीज वाले राज्यों से बीज मंगवाएं तो इस कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के उपमहानिदेशक (फसल) डीके यादव ने 8 मई को सालाना खरीफ सम्मेलन में कहा कि कुल मिलाकर 13.29 लाख क्विंटल ‘गुणवत्ता वाले’ (प्रमाणित) बीजों का अतिरिक्त स्टॉक मौजूद है. जम्मू-कश्मीर, झारखंड, नागालैंड और सिक्किम को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में बीजों की भरपूर उपलब्धता है.

इन राज्यों में है बीजों की कमी

इसके अलावा, मांग को पूरा करने के लिए ‘सत्यापित बीज’ भी उपलब्ध हैं. गुणवत्ता वाले बीज आमतौर पर वे होते हैं जो प्रमाणित होते हैं और जिनमें आनुवंशिक और भौतिक शुद्धता का न्यूनतम स्तर होता है. ऐसे बीजों में दूसरी फसलों या खरपतवार के बीज नहीं होते. फसल के अनुसार देखा जाए तो कुल्थी, सामा (लिटिल मिलेट), राजमा, आलू और कुछ चारे की फसलों के बीज अनुमानित मांग के अनुसार पर्याप्त नहीं हैं. बाकी फसलों में बीजों की पर्याप्त या अतिरिक्त उपलब्धता है. कम उपलब्धता की बात करें तो कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव पूर्णचंद्र किशन ने कहा कि तिलहनों की बात करें तो ग्राउंडनट (मूंगफली) के प्रमाणित बीज तमिलनाडु, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं. इसी तरह तिल (सेसमे) के बीज तमिलनाडु में कम हैं, और नाइजर बीज की कमी छत्तीसगढ़ और ओडिशा से रिपोर्ट की गई है.

10 साल में 2900 नई किस्में जारी

ICAR के वैज्ञानिकों ने कहा कि कि 2014 से 2024 के बीच जारी की गई 2,900 नई फसल किस्मों में से 2,661 किस्में जलवायु-प्रतिरोधी हैं. इनमें से कई किस्में गर्मी और बाढ़ सहन करने में सक्षम हैं, जिससे देश को रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल करने में मदद मिली. केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 1688.8 लाख टन रखा है, जो खरीफ 2024 के वास्तविक उत्पादन 1663.9 लाख टन से 1.5 फीसदी ज्यादा है.

कितना है धान उत्पादन का लक्ष्य

खरीफ की मुख्य फसल चावल (धान) के लिए 1207.5 लाख टन का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 1206.8 लाख टन रहा था. खास बात यह रही कि पिछले साल 1115 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले चावल उत्पादन अधिक हुआ, क्योंकि खेती का रकबा बढ़ा था. खरीफ 2025 के लिए दालों का लक्ष्य लगभग 77.4 लाख टन, मक्का 260 लाख टन, पोषक अनाज (जैसे ज्वार, बाजरा आदि) 143.9 लाख टन और तिलहन (तेल बीज) 283.7 लाख टन तय किया गया है.

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