केरल में पशुपालन में भारी गिरावट आई है. ऐसे में डेयरी विकास विभाग लगातार गिरावट के कारणों की जांच में जुटा है. वहीं दूसरी ओर किसान दूध की खरीद कीमत 70 रुपये प्रति लीटर करने की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. 16 मई को राज्यभर के किसान तिरुवनंतपुरम स्थित डेयरी विकास निदेशक के कार्यालय के बाहर धरना देंगे.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री जे चिनचुरानी के कार्यालय ने कहा है कि सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है. सरकार ने डेयरी फार्मिंग में गिरावट की वजहों की जांच के लिए एक समिति बनाई है. मंत्री ने कहा कि इस गिरावट की एक बड़ी वजह है कि युवा पीढ़ी अब इस क्षेत्र में आना नहीं चाहती. साथ ही, बीमारियों के कारण गायों की मौत दर भी एक अहम कारण है.
उत्पादन लागत अब औसतन 65 रुपये लीटर
केरल सरकार द्वारा संचालित डेयरी फेडरेशन, ‘मिल्मा’ की दूध खरीद कीमत फिलहाल 38 रुपये से 45.80 रुपये प्रति लीटर के बीच है, जबकि उत्पादन लागत अब औसतन 65 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है. एक मजदूर की रोज की मजदूरी 1,200 रुपये हो गई है, लेकिन पांच गाय पालने वाला एक छोटा किसान दिनभर में 300 रुपये भी नहीं कमा पाता है. केरल डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केपी बेनी कवनाल ने कहा कि सरकार का कहना है कि अगर दूध की कीमत बढ़ाई गई तो सस्ते ब्रांड बाजार में आ जाएंगे और किसानों को नुकसान होगा. लेकिन हमें लगता है कि जो लोग क्वालिटी दूध चाहते हैं, वे हमारा साथ जरूर देंगे.
डेयरी फार्मिंग में 42 फीसदी की गिरावट
इडुक्की की साउथ वाझीथला डेयरी कोऑपरेटिव सोसायटी में 125 किसान सदस्य हैं. यहां रोज 3,300 लीटर दूध इकट्ठा होता है. लेकिन जिले में डेयरी फार्मिंग में 42 फीसदी की गिरावट आई है. कई सोसायटी संकट में हैं क्योंकि किसान गाय पालन छोड़ रहे हैं. ऐसे में केपी बेनी कवनाल का कहना है कि मिल्मा की तरफ से मिलने वाला 8 रुपये प्रति लीटर का इंसेंटिव किसानों के लिए बड़ी राहत है. हमारी सोसायटी 3 रुपये और जोड़ती है, जिससे किसानों को कुल 11 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त आय मिलती है.
चारे की कीमत में बढ़ोतरी
उन्होंने कहा कि चारे की कमी के कारण किसान अब तमिलनाडु से मक्का सिलेज खरीदकर अपने पशुओं को खिला रहे हैं. मिल्मा यह सिलेज 8 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दर पर देती है. वहीं, 27 किलो के एक भूसे का गट्ठा 330 रुपये में मिलता है. पहले किसानों को अनानास सिलेज मुफ्त में मिल जाता था, लेकिन अब इसके लिए उन्हें 8,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति एकड़ तक चुकाने पड़ रहे हैं.