इस कृषि तकनीक में भारत से आगे निकला पाकिस्तान.. श्रीलंका, नेपाल और भूटान भी हैं पीछे

श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव में जीएम फसलों की खेती की अनुमति नहीं है. इसके उलट पाकिस्तान ने अक्टूबर में जीएम गन्ने और उन्नत जीएम कपास की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दी. ISAAA के मुताबिक, पाकिस्तान की नेशनल बायोसेफ्टी कमेटी ने इसकी स्वीकृति दी है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 21 Dec, 2025 | 08:51 AM
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Agriculture News: दक्षिण एशिया में इस साल आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों को लेकर पाकिस्तान को छोड़कर कोई खास प्रगति नहीं हुई है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार बांग्लादेश में जैव-प्रौद्योगिकी से जुड़े शोध और नीतियों में कोई नया बदलाव नहीं हुआ. भारत में भी जीएम फसलों को लेकर स्थिति साफ नहीं है, क्योंकि जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अधिकार क्षेत्रों को लेकर भ्रम बना हुआ है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव में जीएम फसलों की खेती की अनुमति नहीं है. इसके उलट पाकिस्तान ने अक्टूबर में जीएम गन्ने और उन्नत जीएम कपास की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दी. ISAAA के मुताबिक, पाकिस्तान की नेशनल बायोसेफ्टी कमेटी ने इसकी स्वीकृति दी है. इसके अलावा नवंबर 2025 में जीएम कैनोला के आयात और जीएम सोयाबीन  के लाइसेंस को भी मंजूरी दी गई. भारत के संदर्भ में USDA ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के तहत जीएम खाद्य उत्पादों का नियमन किया जाता है.

पशु उत्पादों की शीर्ष नियामक संस्था बनी हुई है

सरकार के अनुसार, जब तक FSSAI के तहत नियम पूरी तरह लागू नहीं हो जाते और जरूरी ढांचा तैयार नहीं हो जाता, तब तक जेनेटिकली इंजीनियर्ड (GE) खाद्य उत्पादों की मंजूरी GEAC के पास ही रहेगी. नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी FSSAI को GE खाद्य पदार्थों के नियमन का निर्देश दिया था. फिलहाल FSSAI नवंबर 2022 में जारी जीएम/जीई फूड नियमों के दूसरे ड्राफ्ट पर काम कर रहा है, इसलिए GEAC ही खाद्य श्रृंखला में आने वाले GE पौधों और पशु उत्पादों की शीर्ष नियामक संस्था बनी हुई है.

वनस्पति तेलों के आयात की अनुमति दी गई

अब तक भारत सरकार ने खेती के लिए सिर्फ बीटी कॉटन को मंजूरी दी है, जबकि GE सोयाबीन और कैनोला से बने वनस्पति तेलों के आयात की अनुमति दी गई है. GEAC को DDGS, सोयाबीन मील और GE या GE-आधारित प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों  के आयात के आवेदन मिले हैं, लेकिन FSSAI के नियम और ढांचा अभी तैयार न होने की वजह से इन पर फैसला लंबित है.

2022 में नियामकीय मंजूरी मिल चुकी

अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार, बीटी बैंगन को 2010 में और स्वदेशी जीई सरसों को अक्टूबर 2022 में नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन भारत की जैव-प्रौद्योगिकी नियामक व्यवस्था को चुनौती देने वाले 2004 से चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार अब भी है. इसी वजह से इन पर अंतिम निर्णय लंबित है. USDA ने बताया कि 29 जुलाई 2024 को GEAC ने अमेरिका से अल्फाल्फा घास (जिसमें जीई शामिल हो सकती है) के आयात की सिफारिश की थी, लेकिन अन्य कानूनी मंजूरियों के चलते अभी तक इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है. वहीं, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 मई 2025 को घोषणा की कि ICAR से जुड़े शोध संस्थानों ने देश में दो जीनोम-एडिटेड धान की किस्में विकसित की हैं.

फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार हो

23 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे. इस नीति में शोध, खेती, व्यापार और वाणिज्य से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल किया जाए और इसके लिए सभी हितधारकों से राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श किया जाए. वहीं बांग्लादेश में जैव-प्रौद्योगिकी नीति फिलहाल ठप पड़ी हुई है. इसके चलते वहां न तो बायोटेक्नोलॉजी से जुड़े शोध एवं विकास में कोई प्रगति हुई है और न ही पर्यावरणीय जैव-सुरक्षा से जुड़े मामलों में कोई नया कदम उठाया गया है.

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Published: 21 Dec, 2025 | 08:47 AM
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