GM soybean: भारत के सोयाबीन उद्योग में बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि अमेरिका से जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) सोयाबीन मील का आयात न करने की सख्त हिदायत दी जाए. SOPA का कहना है कि अगर यह आयात अनुमति मिलती है, तो न केवल घरेलू किसानों को आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि भारत की वैश्विक गैर-जीएम (Non-GMO) पहचान पर भी खतरा उत्पन्न होगा.
घरेलू आपूर्ति पर्याप्त, आयात की जरूरत नहीं
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, SOPA ने वाणिज्य सचिव को लिखे पत्र में बताया कि भारत में सोयाबीन मील का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है. विपणन वर्ष 2025-26 में अनुमानित कुल आपूर्ति 78.98 लाख टन है, जो घरेलू मांग 62 लाख टन से कहीं अधिक है. इसके अलावा, फूड सेक्टर की जरूरत 8 लाख टन और निर्यात अनुमानित 8 लाख टन है. SOPA का कहना है कि इससे स्पष्ट होता है कि घरेलू उत्पादन पर्याप्त है और किसी विदेशी सोयाबीन मील की आवश्यकता नहीं है.
किसानों और उद्योग पर संभावित असर
SOPA ने चेतावनी दी है कि यदि GM सोयाबीन मील का आयात होता है, तो बाजार में कृत्रिम आपूर्ति बढ़ जाएगी और किसानों को पहले से गिरती कीमतों का सामना करना पड़ेगा. कई किसान पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं. इस आयात से कीमतें और नीचे जाएंगी, जिससे किसानों की आय घटेगी. SOPA ने यह भी कहा कि आयात घरेलू सोयाबीन प्रोसेसिंग उद्योग की आर्थिक व्यवहार्यता पर गंभीर असर डालेगा और हजारों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है.
भारत की गैर-जीएम पहचान पर खतरा
SOPA अध्यक्ष दवेश जैन ने सरकार को आगाह किया कि GM सोयाबीन मील का आयात भारत की वैश्विक गैर-जीएम सोयाबीन उत्पादक पहचान को कमजोर करेगा. भारत वर्षों से अपनी गैर-जीएम सोयाबीन की गुणवत्ता और ट्रेसिबिलिटी बनाए रखने में जुटा है. यूरोप, जापान और मध्य पूर्व के कई बाजार केवल ऐसे उत्पाद खरीदते हैं जिनकी गैर-जीएम उत्पत्ति प्रमाणित हो. SOPA का कहना है कि आयात अनुमति इस प्रतिष्ठा को खतरे में डाल सकती है.
सरकार से मुख्य मांगें
SOPA ने सरकार से तीन मुख्य मांगें रखी हैं:
- GM सोयाबीन मील को आयात अनुमति सूची या द्विपक्षीय व्यापार समझौतों में शामिल न किया जाए.
- भारत की गैर-जीएम सोयाबीन खेती, प्रोसेसिंग और निर्यात संरचना की रक्षा की जाए.
- घरेलू किसानों को समर्थन देने और बाजार को स्थिर बनाए रखने के लिए नीतिगत कदम उठाए जाएं.
वैश्विक महत्व और भारत की स्थिति
भारत वर्तमान में दुनिया का प्रमुख गैर-जीएम सोयाबीन उत्पादक है. इसकी उच्च गुणवत्ता, ट्रेसिबिलिटी और प्राकृतिक विविधता के कारण भारतीय सोयाबीन को अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशेष पहचान मिली है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर GM सोयाबीन मील का आयात शुरू होता है, तो भारत की एक्सपोर्ट मार्केट में दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है और देश की आत्मनिर्भरता पर भी असर पड़ेगा.
SOPA का यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि किसानों, प्रोसेसरों और पूरे सोयाबीन उद्योग की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, और किसी भी निर्णय में देश की वैश्विक गैर-जीएम पहचान को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है.