Madhya Pradesh News : कभी सड़कों पर भटकती गायें, कभी गोशालाओं पर बढ़ता खर्च.. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. अब वही गोवंश लोगों की आमदनी बढ़ाने का जरिया बनने जा रहा है. मध्य प्रदेश सरकार की एक नई पहल के तहत गोशालाओं में रखी गाय और बछिया लोगों को बिल्कुल मुफ्त दी जा रही हैं. इतना ही नहीं, उन्हें पालने के बदले हर महीने 1500 रुपये की मदद भी दी जाएगी. यानी सेवा भी और कमाई भी.
फ्री गाय, हर महीने तय आमदनी
मध्य प्रदेश सरकार के इस योजना का मकसद सीधा है- गोशालाओं का बोझ कम करना और ग्रामीण परिवारों को सहारा देना. जो लोग गाय पालने में रुचि रखते हैं, वे गोशाला से स्वस्थ गाय या बछिया अपने घर ले जा सकते हैं. बदले में सरकार की ओर से हर महीने 1500 रुपये मिलेंगे, जिससे चारा और देखभाल का खर्च निकल सके. इसके अलावा दूध बेचकर अलग से कमाई भी होगी.
नस्ल सुधार पर खास ध्यान
यह योजना सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं है. इसमें गौवंश की नस्ल सुधार को भी अहम माना गया है. बछिया का कृत्रिम गर्भाधान उन्नत नस्ल के सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कराया जाएगा. इसके लिए नाम मात्र की फीस ली जाएगी. इससे करीब 99 प्रतिशत तक बछिया पैदा होने की संभावना रहती है. आने वाले समय में यही गायें 8 से 10 लीटर तक दूध देने में सक्षम होंगी.
आवेदन आसान, देखरेख की पूरी निगरानी
गाय या बछिया गोद लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले एक साधारण सा आवेदन फॉर्म भरना होगा. फॉर्म जमा होने के बाद उसकी जांच की जाएगी और सभी शर्तें पूरी होने पर ही गौशाला से गाय दी जाएगी. एक परिवार को अधिकतम चार गौवंश गोद लेने की अनुमति होगी, ताकि सभी की देखभाल सही तरीके से हो सके. पशुपालन विभाग की टीम समय-समय पर घर आकर निरीक्षण करेगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि गायों को सही चारा, पानी और इलाज मिल रहा है. इस निगरानी से जानवर सुरक्षित रहेंगे और योजना सफल रहेगी.
अन्ना प्रथा पर भी लगेगी लगाम
इस पहल से सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित पशुओं की संख्या में साफ कमी आएगी. जब गायें और बछिया लोगों के घरों में जाएंगी, तो वे सड़कों पर भटकने के बजाय सुरक्षित माहौल में रहेंगी. इससे खेतों में फसलों को होने वाला नुकसान भी कम होगा और किसानों की परेशानी घटेगी. गांव के परिवारों को हर महीने तय आमदनी मिलेगी, जिससे उनका खर्च चलाना आसान होगा. साथ ही दूध बेचकर अतिरिक्त कमाई का मौका भी मिलेगा. गोवंश को सही देखभाल, सम्मान और सुरक्षित ठिकाना मिलेगा. इस तरह यह पहल पशुपालकों, किसानों और पशुओं-तीनों के लिए लाभकारी साबित होगी.