70 एकड़ जमीन पर 10 हजार गौवंश पालन के लिए बन रहे आश्रय, गाय पालन पर अनुदान बढ़ाने की तैयारी

मध्यप्रदेश में गौ-पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. नई गौ-शालाओं का निर्माण, अनुदान वृद्धि और वैज्ञानिक खेती के माध्यम से किसानों और ग्रामीणों की आय बढ़ाई जा रही है. प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में अग्रणी बनने की राह पर है.

Kisan India
नोएडा | Published: 19 Oct, 2025 | 09:22 PM

Cow Shelter : मध्यप्रदेश अपने प्राकृतिक संसाधनों और गौ-वंश के लिए प्रसिद्ध है. यहां की धरती पर केवल खेती ही नहीं, बल्कि गाय पालन भी किसानों की आय और ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गौ-पालन और दुग्ध उत्पादन को नई दिशा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. राज्य में आधुनिक गौ-शालाओं का निर्माण, प्रति गाय अनुदान राशि में वृद्धि और वैज्ञानिक तरीकों से गौ-वंश संवर्धन, प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं.

गौपालन में बढ़ रहा महत्व

मध्यप्रदेश में गौ-पालन  केवल धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह किसानों की आय का भी महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है. प्रदेश के दुग्ध उत्पादन  का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश से आता है और इसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए गांव-गांव में दुग्ध समृद्धि अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर किसानों को नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं का टीकाकरण, स्वास्थ्य रक्षा और संतुलित आहार जैसी तकनीकी जानकारी दी जा रही है.

अनुदान बढ़ाने से किसानों को मिलेगा फायदा

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गौ-पालन में किसानों को प्रोत्साहित  करने के लिए अनुदान राशि में वृद्धि की है. अब गौ-वंश के लिए प्रतिदिन 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गाय अनुदान मिलेगा. इसके अलावा गौ-वंश के भरणपोषण के लिए बजट भी दो वर्ष पहले 90 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ किया गया और अब इसे 600 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य है. यह राशि सीधे किसानों और पशुपालकों के लाभ के लिए खर्च की जाएगी.

आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशालाएं

ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक गौशाला परिसर में कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र स्थापित किया गया है. इससे गोबर से ऊर्जा  का उत्पादन संभव हो रहा है. प्रदेश में नई गौशालाओं का निर्माण, गौउत्पादकों को प्रोत्साहन, गोबर से सीएनजी बनाने वाले प्लांट और नेशनल डेयरी विकास बोर्ड के साथ करार जैसे कई नवाचार किए गए हैं. भोपाल में 69.18 एकड़ भूमि पर 10 हजार गौवंश की क्षमता वाली गौ-शाला का निर्माण चल रहा है. यह गौशाला प्रदेश में सबसे बड़ी और आधुनिक होगी.

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आत्मनिर्भरता

गौ-वंश का संवर्धन केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं है. यह ग्रामीण क्षेत्रों  में रोजगार और स्वरोजगार का बड़ा स्रोत भी है. महिलाओं की भागीदारी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण है. दुग्ध व्यवसाय से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और परिवार की आमदनी में योगदान कर रही हैं. इस तरह गौ-पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों की आय दोगुनी करने में मदद कर रहा है.

प्रदेश में वैज्ञानिक और जैविक खेती का योगदान

गौ-पालन को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता दी जा रही है. उन्हें नस्ल सुधार, स्वास्थ्य देखभाल, संतुलित आहार और कृत्रिम गर्भाधान  जैसी जानकारी दी जाती है. इससे किसानों की पैदावार बढ़ रही है और उत्पादन में गुणवत्ता भी सुधर रही है. प्राकृतिक और जैविक तरीके अपनाकर उत्पादित दूध और दुग्ध उत्पाद स्वास्थ्य  के लिए लाभदायक होते हैं और बाजार में उनकी मांग भी अधिक रहती है.

गौसंरक्षण से समाज और संस्कृति को मजबूती

मध्यप्रदेश की वन संपदा और गौवंश दोनों राज्य की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का आधार हैं. गौ-संवर्धन और पालन न केवल आर्थिक लाभ देता है, बल्कि समाज को सांस्कृतिक मजबूती और स्वास्थ्य भी प्रदान करता है. प्रदेश में 2900 गौशालाएं हैं, जिनमें से 2203 का संचालन मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना  के अंतर्गत हो रहा है. पिछले वर्ष में एक हजार से अधिक नई गौशालाएं शुरू की गई हैं. यह कदम ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 19 Oct, 2025 | 09:22 PM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?