प्राकृतिक आपदा से पशुपालकों को राहत, हिमाचल सरकार ने बढ़ाई मुआवजे की राशि

हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए एक विशेष राहत पैकेज का ऐलान किया है.

Kisan India
नोएडा | Published: 1 Aug, 2025 | 04:44 PM

मानसून के दौरान हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने व्यापक तबाही मचाई है. खेतों से लेकर घरों तक और जानवरों से लेकर गौशालाओं तकहर तरफ नुकसान ही नुकसान हुआ है. खासकर किसानों और पशुपालकों को भारी झटका लगा है, जिनकी आजीविका का बड़ा हिस्सा पशुपालन पर ही निर्भर करता है.

इस मुश्किल घड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए एक विशेष आपदा राहत पैकेज का ऐलान किया है. इसका उद्देश्य हैआपदा से प्रभावित पशुपालकों और किसानों को आर्थिक मदद देकर उन्हें फिर से खड़ा करना.

गाय और भैंस की मृत्यु पर मिलेगा 55 हजार रुपये का मुआवजा

हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुसार अब तक प्राकृतिक आपदा में दुधारू पशुओं गाय और भैंस की मृत्यु पर दी जाने वाली मुआवजा राशि 37,500 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 55,000 रुपये कर दिया गया है. अगर किसी पशुपालक के पशु बह गए हैं, दब गए हैं या अन्य कारणों से उनकी मृत्यु हुई है, तो यह सहायता राशि उन्हें दी जाएगी. यह कदम पशुपालकों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

गौशाला क्षति पर भी बढ़ी सहायता

इस राहत पैकेज में गौशालाओं के लिए भी बड़ा बदलाव किया गया है. पहले किसी गौशाला के क्षतिग्रस्त होने पर केवल 10 हजार रुपये की मदद मिलती थी, लेकिन अब यह सहायता 50 हजार रुपये कर दी गई है. इसका उद्देश्य है कि पशुपालक जल्द से जल्द अपनी गौशाला का निर्माण और मरम्मत कर सकें और अपने पशुओं को सुरक्षित रख सकें.

छोटे पशुओं के लिए भी मिलेगा बढ़ा हुआ मुआवजा

सरकार ने छोटे पशुओं की हानि पर मिलने वाले मुआवजे को भी दोगुना कर दिया है. अब बकरी, भेड़, सूअर और मेमनों की मृत्यु पर मिलने वाला मुआवजा 4,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति पशु कर दिया गया है. यह फैसला उन छोटे पशुपालकों के लिए राहत लेकर आया है जो सीमित संसाधनों में ही अपनी आजीविका चलाते हैं.

मुआवजा की सीमा खत्म, सभी पशुओं के लिए मिलेगा लाभ

अब तक के नियमों के अनुसार, मुआवजा केवल तीन पशुओं तक ही सीमित था. लेकिन अब हिमाचल सरकार ने इस सीमा को पूरी तरह हटा दिया है. यानी अगर किसी पशुपालक के पांच, दस या उससे अधिक पशु भी आपदा में मारे गए हैं, तो उन्हें हर एक पशु के लिए मुआवजा मिलेगा. यह फैसला पशुपालकों के लिए बहुत राहत भरा है, क्योंकि इससे उन्हें अपने पूरे नुकसान की भरपाई करने का अवसर मिलेगा.

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