केंद्र का दावा: नवंबर के पहले तीन हफ्तों में DAP और यूरिया की खपत बढ़ी, कॉम्प्लेक्स खाद में गिरावट

नवंबर 1 से 21 तक की खाद बिक्री के ताजा आंकड़े सामने आए हैं, जिन्होंने इस साल की स्थिति को पहले से बेहतर दिखाया है. बिक्री में बढ़ोतरी भी हुई है, लेकिन इसके साथ किसानों की कुछ शिकायतें भी सामने आईं, जो हालात की हकीकत बयां करती हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 1 Dec, 2025 | 08:07 AM

fertilizer sales: रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही पूरे देश में किसान खेतों की तैयारी में लगे हैं. अच्छी बुवाई के लिए खादों की सही उपलब्धता बेहद जरूरी होती है. नवंबर का महीना खेती के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी समय गेहूं, चना, सरसों से लेकर मसूर जैसी प्रमुख फसलें बोई जाती हैं. ऐसे में खाद की बिक्री और स्टॉक को लेकर हर साल सवाल उठते हैं.

इस बीच नवंबर 1 से 21 तक की खाद बिक्री के ताजा आंकड़े सामने आए हैं, जिन्होंने इस साल की स्थिति को पहले से बेहतर दिखाया है. बिक्री में बढ़ोतरी भी हुई है, लेकिन इसके साथ किसानों की कुछ शिकायतें भी सामने आईं, जो हालात की हकीकत बयां करती हैं.

नवंबर के पहले 21 दिनों में 6 फीसदी बढ़ी खाद की बिक्री

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस बार नवंबर के शुरुआती तीन हफ्तों में खाद की कुल बिक्री पिछले साल की तुलना में 6 फीसदी बढ़ी है. इनमें सबसे ज्यादा बिक्री यूरिया की रही, जिसकी मांग हर साल सबसे ज्यादा रहती है.

यूरिया की बिक्री में 12 फीसदी की बढ़ोतरी

  • डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की बिक्री में 7 फीसदी की बढ़ोतरी
  • एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) की बिक्री स्थिर, कोई बड़ा बदलाव नहीं
  • कॉम्प्लेक्स खादों की बिक्री में 5 फीसदी की गिरावट

ये आंकड़े बताते हैं कि किसानों की जरूरत और पसंद में यूरिया व डीएपी का दबदबा बरकरार है.

पहले हफ्ते में बिक्री दोगुनी, अगले दो हफ्तों में गिरावट क्यों?

नवंबर के पहले हफ्ते में खाद की बिक्री अचानक दोगुनी हो गई थी. लेकिन इसके बाद अगले दो हफ्तों में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. कई किसानों का कहना है कि उन्हें समय पर खाद नहीं मिली या पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थी. यही वजह रही कि शुरुआती तेजी के बाद मांग फिर धीमी हो गई. इसके बावजूद सरकार का दावा है कि खाद स्टॉक पूरी तरह पर्याप्त है और किसी तरह की कमी नहीं है.

डीएपी की उपलब्धता बनी रही मजबूत

खाद उपलब्धता को लेकर सरकार की रिपोर्ट बताती है कि नवंबर 21 तक डीएपी की उपलब्धता 28.62 लाख टन थी, जबकि पूरे महीने की अनुमानित जरूरत 17.19 लाख टन है. रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर की शुरुआत में पिछले साल की तुलना में 7.84 लाख टन अधिक डीएपी स्टॉक उपलब्ध था. आयात भी लगातार हो रहा है, जिससे बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनी हुई है. इससे स्पष्ट है कि डीएपी की कमी नहीं है, बल्कि कुछ राज्यों में वितरण धीमा होने से किसानों को परेशानी हुई.

स्टॉक की स्थिति

नवंबर 1 को खाद स्टॉक की स्थिति इस प्रकार थी:

यूरिया: 50.54 लाख टन (पिछले साल के 68.16 लाख टन से कम)

DAP: 19.05 लाख टन (पिछले साल से 7 लाख टन ज्यादा)

MOP: 7.33 लाख टन (लगभग समान)

Complex: 36.21 लाख टन (पिछले साल से 5 लाख टन ज्यादा)

इस स्टॉक से साफ है कि यूरिया का दबाव थोड़ा बढ़ा है, जबकि अन्य खादों की उपलब्धता अच्छी रही.

गेहूं और रबी फसलों की बुवाई ने बढ़ाई खाद की मांग

इस समय देशभर में गेहूं की बुवाई तेजी से हो रही है. 21 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का रकबा 128.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा है. गेहूं और सरसों जैसी फसलों के लिए किसान सबसे ज्यादा DAP का उपयोग करते हैं, क्योंकि इसमें फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है. DAP में 46 फीसदी फॉस्फोरस और 18 फीसदी नाइट्रोजन, जबकि SSP में सिर्फ 16 फीसदी फॉस्फोरस. इसी वजह से डीएपी की लोकप्रियता हमेशा अधिक रहती है.

गेहूं की कीमतें भी स्थिर, बाजार में राहत

खेती-बाड़ी रिपोर्टों के मुताबिक, पूरे भारत में मंडियों में गेहूं की औसत कीमत ₹2541 प्रति क्विंटल रही, जो पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी कम है. इसका एक बड़ा कारण है पिछले सीजन का अच्छा उत्पादन, मंडियों में पर्याप्त स्टॉक, इसके चलते इस साल गेहूं के दाम स्थिर बने हुए हैं.

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