मिट्टी की सेहत सुधरेगी, पैदावार बढ़ेगी, बिहार में किसानों को मोबाइल से मिल रही बड़ी मदद

बिहार सरकार ने मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए मृदा परीक्षण अभियान तेज कर दिया है. अब किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड मोबाइल पर मिल रहा है, जिससे वे सही उर्वरक का चयन कर सकें. इससे खेती की लागत घटेगी, उत्पादकता बढ़ेगी और मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी.

Kisan India
नोएडा | Published: 25 Sep, 2025 | 11:30 PM

Bihar News:- बिहार सरकार ने किसानों की मदद के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है. अब मिट्टी की जांच रिपोर्ट यानी मृदा स्वास्थ्य कार्ड सीधे किसानों के मोबाइल पर भेजी जा रही है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान अपनी जमीन की सेहत को जानकर वैज्ञानिक तरीके से उर्वरकों का संतुलन बना सकते हैं, जिससे खेती में लागत घटेगी और पैदावार बढ़ेगी. इस योजना से न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी बल्कि रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल को भी रोका जा सकेगा.

मिट्टी की जांच से सुधरेगी खेतों की सेहत

राज्य सरकार ने मिट्टी जांच को कृषि विकास का आधार मानते हुए इसे अभियान की तरह शुरू किया है. बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि मिट्टी की जाँच से किसानों को यह पता चलता है कि उनके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है और कौन-सा उर्वरक कब और कितनी मात्रा में देना चाहिए. इससे खेतों की उर्वरक क्षमता में सुधार होगा और किसान अनावश्यक रसायनों का प्रयोग नहीं करेंगे. यह न सिर्फ खेती की लागत कम करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगा.

बड़े पैमाने पर हो रहा है मिट्टी इकट्ठा

बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 3 लाख मिट्टी नमूने इकट्ठा करने का लक्ष्य तय किया है. अब तक 2.41 लाख नमूने प्रयोगशालाओं में पहुंच चुके हैं और 1.20 लाख नमूनों का विश्लेषण भी पूरा हो चुका है. इन नमूनों की जांच के आधार पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) प्रदान किए जा रहे हैं. यह कार्ड किसानों को यह जानकारी देता है कि उनकी जमीन किस पोषक तत्व में कमजोर है और उसमें क्या सुधार की जरूरत है.

मोबाइल पर व्हाट्सएप से मिल रहा है मृदा स्वास्थ्य कार्ड

अब किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाने के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. सरकार ने एक नई पहल के तहत यह कार्ड व्हाट्सएप के जरिए सीधे किसानों के मोबाइल पर भेजना शुरू कर दिया है. इससे किसानों को समय पर जानकारी मिल रही है और वे तुरंत उचित निर्णय ले पा रहे हैं. यह कदम तकनीक के उपयोग से कृषि क्षेत्र को डिजिटल रूप से सशक्त बना रहा है.

106 फसलों के लिए वैज्ञानिक सलाह भी उपलब्ध

ऑनलाइन मिलने वाले मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसानों को लगभग 106 फसलों के लिए वैज्ञानिक अनुशंसा मिल रही है. यानी अगर कोई किसान धान, गेहूं, मक्का, सब्ज़ी या फल की खेती करना चाहता है, तो वह कार्ड में दी गई सलाह के अनुसार उर्वरक और पोषण प्रबंधन कर सकता है. इससे किसान सही फसल का चयन कर पाएंगे और संतुलित खेती से ज्यादा लाभ ले सकेंगे.

किसान बनेंगे तकनीकी रूप से सशक्त

उप मुख्यमंत्री सिन्हा ने भरोसा जताया कि इस नई पहल से बिहार के किसान ज्यादा जागरूक और तकनीकी रूप से सक्षम बनेंगे. अब उन्हें अंदाजे पर खेती नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि वैज्ञानिक तरीके से पोषण प्रबंधन कर सकेंगे. रासायनिक खाद पर निर्भरता घटेगी, जिससे मिट्टी की लंबे समय तक उर्वरता बनी रहेगी. साथ ही उत्पादन और उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होगी. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और बिहार की कृषि एक नए मुकाम पर पहुंचेगी.

Published: 25 Sep, 2025 | 11:30 PM

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