धान-कपास और मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने पर जोर, मिट्टी जांच आसान होगी

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ICAR अधिकारियों संग बैठक कर शोध, बीज, तकनीक और किसान कल्याण पर रणनीति तय की. PM मोदी के विकसित भारत विजन को जमीन पर उतारने के लिए खेत से मंडी तक सुधारों पर जोर दिया गया.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 29 Apr, 2025 | 09:32 PM

गेहूं और चावल के साथ दलहन, तिलहन, कपास और मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ाने पर केंद्र सरकार का फोकस है. खरीफ सीजन से पहले कृषि मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए मिट्टी की जांच को आसान बनाना जरूरी है. ताकि, मिट्टी की ताकत बढ़ाई जा सके. उन्होंने किसानों को उवर्रकों के सही इस्तेमाल करने की जानकारी देने के साथ ही नई तकनीकों का लाभ छोटे किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब अंतिम पंक्ति का किसान समृद्ध बनेगा, तभी सही मायनों में विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को अच्छी किस्म के बीज विकसित करने की दिशा में प्राथमिकता दिखाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बीजों की नई किस्में, दलहन में आत्मनिर्भरता, खेत से बाजार तक की मजबूत श्रृंखला, प्राकृतिक खेती और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) की भूमिका जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.

मिट्टी की जांच के साथ खेती के विकास पर फोकस

कृषि मंत्री ने दलहन की मेढ़ पर आधारित किस्मों के विकास, सोयाबीन की खेती को बढ़ावा और अच्छे बीजों के जल्द वितरण की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि किसान के खेत तक नई तकनीक और किस्में जल्दी पहुंचे, इसके लिए बीज केंद्रों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को अपने ही खेत में मृदा परीक्षण की सुविधा देने और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सिर्फ गेहूं-चावल ही नहीं, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की उपज भी राष्ट्रीय लक्ष्य होनी चाहिए.

छोटे किसानों के लिए मॉडल फार्म बनेंगे

ग्राम स्तर पर ‘फार्म टू मार्केट’ मॉडल को प्रभावी बनाने की बात करते हुए कृषि मंत्री ने कृषि समितियों की सक्रिय भूमिका की मांग की. इससे किसानों को उचित मूल्य और मंडी तक पहुंच सुनिश्चित की जा सकेगी. छोटे किसानों के लिए मॉडल फार्म विकसित करने, प्राकृतिक खेती को प्रमाणित करने और किसान को पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन से जोड़ने जैसे सुझावों पर गंभीर विचार किया गया. इसके साथ ही, शुष्क भूमि प्रबंधन, चारा उत्पादन, सॉयल टेस्टिंग किट्स और तकनीक का मूल्यांकन भी एजेंडे में रहा.

कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि केवीके ही किसानों को विज्ञान और तकनीक से जोड़ने की असली कड़ी हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक केवीके में प्राकृतिक खेती के लिए एक ब्लॉक तय किया जाए और इन केंद्रों का इम्पैक्ट असेसमेंट अनिवार्य किया जाए. कृषि अनुसंधान निचले स्तर तक पूरे तालमेल के साथ पहुंचे. उन्होंने कहा कि केवीके मांग आधारित सेवाएं कैसे दे सकता है, उसका भी एक मैकेनिजम बनाया जाए. साथ ही, महिलाओं और युवाओं को कृषि प्रसार के लिए अधिकाधिक जोड़ा जाए.

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Published: 29 Apr, 2025 | 09:23 PM

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