अदरक की खेती को विपरीत मौसम और कीट-रोगों के असर से बचाते हुए करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने नया मॉडल पेश किया है. इसके तहत कहीं भी अदरक की खेती करके कम लागत में ज्यादा उपज हासिल की जा सकेगी. वहीं, खपत के मुकाबले अदरक की कम पैदावार को भी संतुलित किया जा सकेगा. कृषि वैज्ञानिकों को 7 साल ट्रायल के बाद मॉडल सफल हुआ है, जिसके बाद इसे अदरक उत्पादन के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जा रहा है.
देश में अदरक का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है. 2023 में 25 लाख टन अदरक उत्पादन दर्ज किया गया है जो 2024 में 28 लाख टन के पार चला गया है, जबकि अगले कुछ सालों में इसे 50 लाख टन के पार ले जाना है. क्योंकि, अदरक की खपत अधिक है. पंजाब कृषि विश्वविद्याल के अनुसार अकेले पंजाब में एक व्यक्ति महीने में औसतन 1 किलो अदरक खा जाता है. ऐसे में खपत पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाना जरूरी है.
7 साल के ट्रायल के बाद मिली सफलता
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU)ने अदरक की मांग, खपत और उसके कई तरह से इस्तेमाल होने के चलते उत्पादन बढ़ाने के लिए खेती मॉडल के लिए कई साल से ट्रायल कर रहा है. एग्रो क्लैमेटिक यानी एक समान जलवायु वाले इलाकों में अदरक उत्पादन बढ़ाने के मॉडल को सफलता मिली है. रिपोर्ट के अनुसार PAU ने साल 2018 में अदरक की खेती मॉडल का ट्रायल शुरू किया था, जिसे 7 साल बाद सफलता मिली है.
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मॉडल में कैसे की गई खेती
एग्रो-क्लाइमेटिक जोन में सफल होने वाले मॉडल के तहत अदरक की खेती के लिए ऊंची क्यारियां बनाकर, पौधों को छाया में रखने और मल्चिंग विधि का इस्तेमाल किया गया है. इस मॉडल से राइजोम यानी मिट्टी के अंदर बनने वाली गांठ जल्दी बनती है और पौधे की ग्रोथ तेज होती है. इस मॉडल को लुधियाना में कंडी इलाके के किसानों को भी अपनाकर देखा गया है, जिसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं.
इस मॉडल से क्या फायदा होगा
इस मॉडल को अपनाकर किसान कम समय और कम लागत में ज्यादा उत्पादन हासिल कर सकेंगे. फसल में कीटों-रोगों के चलते आर्थिक खर्च से भी बचत होगी. वहीं, पंजाब के किसान अदरक का उत्पादन बढ़ा सकेंगे तो राज्य की खपत डिमांड पूरी करने के लिए दूसरे राज्यों से मिलने वाली सप्लाई पर निर्भर नहीं रहना होगा. जबकि, इस मॉडल को दूसरों राज्यों में भी अपनाकर किसान अदरक उत्पादन से कमाई बढ़ा सकेंगे.
अदरक की खेती बनेगी बिजनेस
विश्वविद्यालय की ओर से बयान में कहा गया कि यह अदरक की खेती का मॉडल खास एग्रो-क्लाइमैटिक हालात के हिसाब से बनाया गया है और किसानों को ज्यादा कीमत वाली फसल उगाने का बेहतर विकल्प बनता है. यह पहल न सिर्फ स्थानीय खपत को पूरा करेगी, दूसरे राज्यों के किसान भी इसे अपनाकर उत्पादन और आमदनी बढ़ा सकेंगे. वहीं, गांव में अदरक की खेती को बिजनेस के तौर भी युवा कर सकेंगे.